नई दिल्ली। अब ग्रॉसरी स्टोर्स को भी दवा बेचने की परमिशन मिल गई है। जल्द ही ग्रॉसरी स्टोर्स से खांसी, जुकाम या फ्लू जैसी साधारण बीमारियों के लिए दवाएं मिलने लग जाएंगी। स्टैंडर्ड ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन नॉन-प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के लिए उपयुक्त साइज वाली ‘यूनिट डोज पैकेजिंग’ शुरू करने के एक प्रपोजल पर विचार कर रहा है। इससे दवाओं के गलत या अधिक इस्तेमाल की आशंका दूर हो सकेगी। देश में ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं पर बनाई गई एक्सपट्र्स की एक सब-कमिटी ने अलग पैकेजिंग रखने का सुझाव दिया है, जिससे उपभोक्ता दवाओं को खुद चुन सकेंगे। ओटीसी दवाओं के लिए दो अलग कैटिगरी बनाई जाएंगी। इनमें से एक कैटिगरी की दवाएं रिटेल आउटलेट पर बेची जा सकेंगी और दूसरी रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट के यहां से मिल सकेंगी। लेबलिंग को लेकर सुझावों को अगर मंजूर किया जाता है, तो सभी ओटीसी दवाओं का जेनेरिक नाम, फाम्र्युलेशन का ब्रांड नाम, कंपोजिशन, पैक में डोज की संख्या जैसी जानकारी देनी होगी। देश में अभी तक ओटीसी दवाओं की कोई परिभाषा नहीं है। एक्सपट्र्स की सब कमिटी ने कहा है कि एक दवा को घोषित करने से पहले फॉम्र्युलेशन की कम से कम चार वर्ष तक बिक्री की जानी चाहिए।