पटना। सावधान! कहीं आप घटिया क्वालिटी की दवा तो नहीं खा रहे। दरअसल, गोविंद मित्रा रोड की दवा मंडी में अमानक दवा बेचे जाने का खुलासा हुआ है। क्षेत्र में छापेमारी के दौरान लिए गए सैंपल की जांच रिपोर्ट बताती है कि कई फर्म बिना किसी लैब टेस्टिंग के दवा बनाकर बाजार में बेच रही हैं। इस मामले में पकड़े गए कुछ लोगों ने औषधि विभाग की टीम को बताया कि ड्रग माफिया ने अपना कारोबार करने का नया तरीका अपनाया है। माफिया छोटी कंपनियों को रकम देकर ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं बनवा रहा है। वे यूपी, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों में स्थापित छोटी दवा कंपनियों से ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं बनवाते हैं, फिर वहां से दवाएं मंगवा कर उन पर ब्रांडेड कंपनियों के रैपर लगा कर बेच देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन दवाओं के सेवन से मरीजों को तीस फीसदी ही फायदा हो पाता है।
औषधि विभाग के अनुसार कंपनियां जिस डोज व साल्ट का दावा कर दवाओं को बाजार में बेच रही हैं, उनमें न तो उतनी मात्रा में डोज है और न ही उनमें वो साल्ट शामिल है। यानी दवा के नाम पर महज कैल्शियम की टैबलेट रैपर में पैक कर बेची जा रही है जिनके खाने पर शरीर को कोई नुकसान तो नहीं होगा, लेकिन बीमारी कभी ठीक नहीं हो पाएगी। दरअसल, छोटी कंपनियां सब स्टैंडर्ड दवा बनाने में ब्रांडेड कंपनियों की तरह महंगे कंपोजिशन नहीं मिलाती हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद प्रसाद ने बताया कि औषधि विभाग की टीम ने कुछ ऐसे भी ड्रग माफिया को पकड़ा है जिनका संबंध दूसरे राज्यों से था। माफिया छोटी कंपनियों से सांठ-गांठ कर ब्रांडेड दवा बनवाते हैं और यहां लाकर ब्रांडेड कंपनियों का रैपर लगाकर में बेच देते हैं।
बाजार में नकली दवा बिक्री की रिपोर्ट सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। विभाग ने ड्रग विभाग को खुल कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। ड्रग इंस्पेक्टरों की टीम बनाकर छापामारी करने की योजना बनाई गई है। आदेशों में साफ कह दिया गया है कि जिन मेडिकल स्टोर पर निरीक्षण के दौरान अमानक दवाएं मिलें, उसका लाइसेंस कैंसिल कर दिया जाए।