शिमला। मंडी और कुल्लू की सरकारी सप्लाई में जब्त की गई निम्न स्तरीय दवाओं के बाद संबंधित बैच की दवाइयां मरीजों को देने पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही दवाओं के सैंपल्स लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। गौर हो कि संबंधित बैच की दवाएं प्रदेश के सभी जिलों में इस्तेमाल की जा रही थीं। लिहाजा संबंधित दवाओं के सैंपल्स की रिपोर्ट आने तक इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। इनमें ब्लड प्रेशर, गैस्ट्रिक और एलर्जी की दवाएं शामिल हैं। रिपोर्ट आने तक अस्पतालों में संबंधित दवाओं के बैच को सील कर रखा जाएगा। सरकारी सप्लाई में घटिया दवाओं के खुलासे के बाद सामने आया है कि अभी भी कई अस्पतालों में दवाओं की खेप शेष है। इसमें करीब 40 हजार दवाओं की गोलियों का स्टॉक बचा है। इनमें अभी टेलमिजारटेन की 10 हजार गोलियां और लिवोस्ट्रिजिन की लगभग 30 हजार गोलियां अस्पतालों में बची हुई हैं। बता दें कि इसकी शिकायत संबंधित जिला सीएमओ से की गई है, जिस पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। वहीं, जो दवाएं सब-स्टैंडर्ड निकली हैं, उनमें सभी जीवनरक्षक दवाएं शामिल हैं। मंडी में टेलमिजाऱटेन की दवा की शिकायत में सामने आया है कि जब इसे खोला गया तो यह पाउडर बन चुकी थी। वहीं, लिवोस्ट्रिेजिन मेडिसिन भी पाउडर के रूप में ही थी। इसके साथ ही कुल्लू के सरकारी सप्प्लाई में भी घटिया दवा का खुलासा हुआ है, जिसमें गैस्ट्रिक की दवा रेंटिडाइन भी थी, जिसकी शिकायत जिला सीएमओ से की गई है। शिकायत में कहा गया है कि दवा की कई स्ट्रिप्स तो खाली ही थीं, लेकिन जब एक को खोला गया तो दवा मैल्ट हो चुकी थी