ग्वालियर। दवा के कारोबार के लिए लाइंसेंस मुहैया कराने के एवज में 25 हजार की घूस लेते औषधी विभाग का सैंपल बाबू अयूब खान पकडा गया है। साथ ही 30 हजार घूस ड्रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर ने भी मांगी थी। फिर सौदा 25 हजार में डन किया था। घूस की रकम वसूलने के लिए औषधी विभाग का दफतर मुकर्रर किया था। लेकिन मौके से ड्रग इंस्पेक्टर खुद गायब हो गया। सैंपल सहायक ने घूस की रकम लेकर ठिकाने पर रखी। तभी लोकायुक्त पुलिस ने उसको पकड़ लिया । पकडे जाने पर सैंपल सहायक ने एक सांस में कहानी सुना दी कि घूसखोरी तो ड्रग इंस्पेक्टर कराता है। और उसे भी हिस्सा देता है। गौरतलब है कि लोकायुक्त इंस्पेक्टर कवीन्द्र सिंह ने बताया दवा कारोबार के लाइसेंस के एवज में घूसखोरी की डिमांड का मामला और उससे जुडी ड्रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर से बात वायस रिकार्डर में दर्ज हो चुकी थी। इसलिए इंस्पेक्टर अजय ठाकुर और अयूब खान पर धारा 7 भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 के तहत केस दर्ज किया।
गुरूवार को रिश्वतखोरों ने घूस का पैसा लेने के लिए दिन मुकर्रर किया था तो महेन्द्र को पांच पांच सौ के 50 नोट कैमीकल लगाकर महेन्द्र को थमाए। टीम उनके साथ कलेक्ट्रेट पहुंची। इंस्पेक्टर अजय ठाकुर उस वक्त ऑफिस में नहीं थे। महेन्द्र ने उन्हें फोन किया तो ठाकुर ने कहा पैसा सहायक अयूब को दे दो उससे बात हो गई है। उनके कहने पर महेन्द्र ने घूस की रकम अयूब को थमाई और बाहर निकल कर टीम को इशारा कर दिया। इस दौरान अयूब रिश्वत की रकम को इंस्पेक्टर अजय ठाकुर के चैंबर में रखी टेबिल की दराज में रख चुका था। उसे रंगे हाथ पकड कर हाथ धुलवाए तो उनमें रंग उतर आया। इसके अलावा उसकी निशानदेही पर अजय ठाकुर की टेबिल से घूस की रकम बरामद की। अयूब को वहीं हिरासत में लिया।
आरोपी इंस्पेक्टर अजय की तलाश है। दरअसल महेन्द्र के मुताबिक मैनावली गली में इंस्पेक्टर अजय ठाकुर ने आकर मुलाकात की, घूस की फाइनल रकम मुंह से नहीं बताई। उनके हाथ से कैलक्यूलेटर लेकर उस पर लिख कर कहा यह फाइनल है। घूस का फाइनल रेट तय होने पर फिर लोकायुक्त ऑफिस जाकर माजरा बताया। हालांकि लधेडी निवासी महेन्द्र बाथम ने बताया उन्होंने ओसबीटा फार्मासूटिक्लस के नाम से फर्म बनाई है। उसके जरिए दवा का होलसेल कारोबार करने का प्लान है। इसलिए ड्रग लाइसेंस की जरूरत है। 13 अक्टूबर को सरकारी 3150 रू जमा कर लाइसेंस के लिए सरकारी खाते में जमा किए थे। कारोबार के लिए मैनावली गली में दुकान किराए से ली थी। फीस जमा करने के करीब तीन दिन बाद कलक्टे् में औषधी विभाग में जाकर आवेदन और ड्रग इंस्पेक्टर अजय ठाकुर से संपर्क किया। तब ठाकुर ने कहा कि लाइसेंस इश्यू करने से पहले दुकान देखना पडेगी। इसमें करीब 30 हजार का खर्चा आएगा। पैसा ज्यादा लगा तो ठाकुर के सहायक सेंपल अधिकारी अयूब खान से कहा कि रकम तो ज्यादा है। साहब से कहो सही पेसा बताएं। लेकिन अयूब खां भी नहीं माने बोले कि साहब की रेट फिक्स है। इससे कम नहीं लेते हैं। यह रवैया ठीक नहीं लगा तो लोकायुक्त पुलिस को वाक्या बताया। उन्होंने वॉयस रिकार्डर थमा कर आगे कार्रवाई के लिए कहा।