Medical Professional Protection Act: हाल ही में झारखंड में चिकित्सा पेशेवर सुरक्षा अधिनियम (Medical Professional Protection Act) को राज्य सरकार की ओर से मंजूरी मिली है। चिकित्सा सेवा संघ (हिंसा और संपत्ति क्षति की रोकथाम) के उद्देश्य से इस अधिनियम को मंजूरी दी गई है। 

चिकित्सा पेशेवरों पर हमला करने पर मिलेगी ये सजा (Medical Professional Protection Act)

इस अधिनियम के तहत  किसी सरकारी या फिर प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सा पेेशेवरों पर हमला करने पर दो साल की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माना का प्रावधान है। झारखंड में लगातार चिकित्सा पेशेवरों पर हो रहे हमलों को देखते हुए स्वास्थ्य कर्मियों की ओर से सरकार से इस अधिनियम को लागू करने की मांग की जा रही थी। गढ़वा और धनबाद जिले में स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला होने की घटना भी सामने आयी थी। बिल को मंजूरी नहीं मिलने पर डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए हड़ताल पर जाने की धमकी दी थी। स्वास्थ्य कर्मियों पर बार-बार हो रहे हमलों के विरोध में डॉक्टरों ने 1 मार्च को एक दिवसीय सेवाओं का बहिष्कार किया। उन्होंने राज्य में चिकित्सा पेशेवरों पर बार-बार हो रहे हमलों के विरोध में 5 मार्च को एक कैंडललाइट मार्च भी आयोजित किया गया था। जिसके बाद आखिरकार झारखंड सरकार ने इस अधिनियम को मंजूरी दे दी।

बिहार, ओडिशा और बंगाल समेत कई राज्यों में चिकित्सा पेशेवर सुरक्षा अधिनियम लागू

बिहार, ओडिशा और बंगाल समेत कई राज्यों में पहले से ही चिकित्सा पेशेवर सुरक्षा अधिनियम लागू है। देश के कई राज्यों से अक्सर अस्पताल में मरीजों की मौत हो जाने  पर उनके परिजनों के द्वारा डॉक्टरों के साथ मारपीट की जाती है। अस्पतालों में तोड़फोड़ की जाती है। मरीज की मौत का कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया जाता है।

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लेकिन सच्चाई यह है कि कि डॉक्टर, खासकर सरकारी अस्पतालों में, जबरदस्त दबाव में काम करते हैं क्योंकि देश में डॉक्टर-रोगी अनुपात लगातार बढ़ रहा है। ऐसी पृष्ठभूमि में, रोगियों के नाराज परिवार के सदस्यों द्वारा डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों पर हमलों को रोकने के लिए कुछ तंत्र होना चाहिए। इसी को देखते हुए सरकार की ओर से साल 2013 में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट बनाया गया है। अब झारखंड इस एक्ट को लागू करने वाला देश का 24वां राज्य बन चुका है।