नई दिल्ली। पड़ोसी देश चीन में भारतीय दवाओं के आयात से संबंधित कानूनों में बदलाव को भुनाने के लिए भारतीय दवा कंपनियां तैयार हो गई हैं। डा. रेड्डी लैब ने चीन में भारतीय दवाओं को उतारने का फैसला किया है। इससे भारत का चीन में निर्यात बढ़ सकेगा। अन्य भारतीय कंपनियां भी अब चीन का रुख कर सकती है। व्यापार घाटा कम करने के लिए भारत लंबे समय से चीन से अपने दवा बाजार को खोलने की मांग कर रहा था। भारत की इस मांग को मानते हुए अब चीन ने अपने कानून में संशोधन किया है। अब चीन भारत की दवाइयों की जांच के लिए अपने पोर्ट में ही सुविधाएं विकसित करेगा। जबकि इससे पहले दवाओं की जांच न होने से भारतीय कंपनियों को निर्यात में दिक्कतें आती थीं। कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी इरेज इजराइलिन ने हाल ही में कंपनी के शेयरधारकों को संबोधित करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कंपनी कैंसर की चिकित्सा समेत अन्य इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की बिक्री के लिए जरूरी मंजूरियों को लेकर चीन के प्राधिकरणों से बातचीत करने की प्रक्रिया में है। कंपनी वृद्धि के लिए पेशेवर टीम को भी बढ़ा रही है।
एक सवाल का जवाब देते हुए इजराइलिन ने कहा कि चीन हमारे लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है और हम चीन में वृहद अवसर देख रहे हैं। चीन का बाजार खुल रहा है और कानून में बदलाव हो रहे हैं। ऐसे में हम चीन के लिए गुणवत्तायुक्त तथा किफायती उत्पाद पेश कर सकते हैं। हमने 70 उत्पादों की पहचान की है जो चीन की जरूरतों पर खरा उतरते हैं और हमें उम्मीद है कि हम आने वाले कुछ वर्षों में चीन के लिए नए तरीके और नई रणनीति विकसित कर सकेंगे। चीन में कंपनी की एक अनुषंगी कंपनी डॉ रेड्डीज फार्मास्यूटिकल कंपनी लिमिटेड है तथा एक संयुक्त उपक्रम कुनशान रोतम रेड्डी फार्मास्यूटिकल्स कंपनी लिमिटेड है। इस संयुक्त उपक्रम में 31 मार्च 2018 तक डॉ रेड्डीज की हिस्सेदारी 51.30 फीसदी थी। इजराइलिन ने बताया कि कंपनी चीन में अपनी टीम को बढ़ा रही है तथा मौजूदा संयंत्र के पास एक नया संयंत्र भी बनाने जा रहे हैं।