अमृतसर। जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल के जन औषधि केंद्र में महंगे दामों पर दवाइयां बेची जा रही हैं। यही नहीं, मरीजों को दवा देने के बाद बिल भी नहीं दिया जाता। दस रुपए की दवा का पत्ता तीस रुपए में बेचे जाने की बात सामने आई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 में सिविल अस्पताल में स्थापित किया गया यह देश का पहला जन औषधि केंद्र है। इसकी स्थापना मरीजों को वाजिब दाम पर जेनरिक दवाएं उपलब्ध करवाने के मकसद से की गई थी। केंद्र में तीन फार्मासिस्ट कार्यरत हैं। आरोप है कि ये फार्मासिस्ट अपनी ड्यूटी ईमानदारी से नहीं करते, वहीं मरीजों के साथ दुव्र्यवहार भी करते हैं। नियमानुसार दवा देने के बाद संबंधित व्यक्ति को इसका बिल देना अनिवार्य है, पर यहां का स्टाफ अपने फायदे के लिए न बिल देता है और न ही बकाया राशि। इस बात की शिकायत मिलने पर एडीसी हिमांशु अग्रवाल ने केंद्र में आकर जांच की तो पाया कि मरीजों को दवाओं के बिल नहीं दिए जाते। उन्होंने दवा खरीदने आए लोगों से भी बातचीत की।
स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी मेडिकल कमिश्नर डॉ. प्रभदीप कौर जौहल ने डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखा है कि रेडक्रॉस द्वारा सिविल अस्पताल में संचालित की जा रहे जन औषधि केंद्र में भी भारी अनियमितताएं हैं। इस संबंध में केंद्र के इंचार्ज को कई बार नोटिस जारी किया गया है, लेकिन वह जवाब नहीं देता। उन्होंने स्टाफ को अपने पास बुलाकर कई बार समझाया कि अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाएं, पर उन पर कोई असर नहीं। उन्होंने डिप्टी कमिश्नर से आग्रह किया है कि रेडक्रॉस द्वारा संचालित किए जा रहे जनऔषधि केंद्र को रोगी कल्याण समिति के हवाले कर दें ताकि सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल अधिकारी जन औषधि का कामकाज देख सकें।