नई दिल्ली: यूपीए सरकार के समय लडख़ड़ा रही सस्ती दवाओं की जनऔषधि योजना स्कीम को मोदी सरकार ने सफलता के करीब पहुंचाने का दावा किया है। बीपीपीआई सूत्रों के अनुसार देशभर में 3000 जनऔषधि केंद्र खोलने का टारगेट पूरा कर लिया गया है, जिसके बारे में शीघ्र औपचारिक एलान किया जाए सकता है। योजना के जरिए न सिर्फ लोगों तक सस्ती दवाएं पहुंच रही हैं, बल्कि सैंकड़ों लोगों को 30 हजार रुपए मंथली तक कमाई का मौका भी मिला है।
जनऔषधि योजना स्कीम का काम देख रही बीपीपीआई अधिकारी के मुताबिक, अब सरकार का फोकस इन सेंटर्स को मजबूत करने पर होगा, जिससे सस्ती दवाओं की कमी न हो। साथ ही, जिन लोगों ने जनऔषधि केंद्र खोले हैं, उनका मुनाफा प्रभावित न होने पाए।

यूपीए सरकार ने 2008 में देश भर में जनऔषधि सेंटर खोले जाने की योजना बनाई थी। लेकिन, शुरूआती सालों में लोगों ने ज्यादा रिस्पांस नहीं दिखाया। पिछले दिनों सरकार ने मेडिकल स्टोर खोलने पर दुकानदारों के कमीशन से लेकर उन्हें मिलने वाले ग्रांट को बढ़ा दिया था। दुकानदारों का कमीशन 15 से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया। यानी अगर 1 लाख रुपए की दवा सेल होती है तो 20 हजार रुपए बतौर कमिशन दुकानदारों के अकाउंट में भेज दिया जाता है। वहीं दुकान खोलने के लिए उन्हें मिलने वाली ग्रांट 1.5 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दी गई। इससेबड़ी संख्या में देश भर से आवेदन आए। मंथली बेसिस पर 10 फीसदी इंसेंटिव भी दिया जा रहा है। ऐसे में बहुत से लोग जन औषधि केंद्र के जरिए गांव, कस्बों या छोटे शहरों में रहकर भी 30 हजार रुपए तक इनकम कर रहे हैं। सेंटर शुरू करने पर सरकार ने 2.5 लाख रुपए की ग्रांट दी। शुरू में जिन लोगों ने दुकान शुरू की, उन्हें दवा खरीदने से लेकर दुकान में रैक बनवाने तथा फ्रीज व कंप्यूटर खरीदने में जो खर्चा आया, उसमें से 2.5 लाख रुपए सरकार ने रिअंबर्स कर दिया।