गोरखपुर। मानसून के सीजन में बीमारियों का दायरा लगातार बढ़ रहा है। वायरल फीवर, डायरिया और टायफाइड के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बीच जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दवाओं का टोटा हो गया है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस जिला चिकित्सालय जिले में इलाज का बड़ा केन्द्र है। यहां पर ओपीडी में रोजाना करीब दो हजार मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं।

करीब दो हफ्ते से यहां बुखार की एंटीबायोटिक दवा सिफेक्सिम-200 खत्म है। ऐसे में डॉक्टर बाहर से एंटीबॉयोटिक खरीदने की सलाह दे रहे हैं। बुधवार को भी कमोबेश यही स्थिति थी। मानसून के सीजन में कान के संक्रमण के मामले बढ़े हैं। अस्पताल में कान के संक्रमण के इलाज का एंटीबॉयोटिक और एंटीफंगल ड्रॉप खत्म है। मैट्रोजिल टेबलेट, सिट्रजिन भी नहीं है।

वायरल फीवर और इंसेफेलाइटिस में बच्चों को झटका आता हैं। इसके इलाज के लिए फेन्ट्वाइन खत्म है। थाइरायड की दवा और कटे-जले का मलहम खत्म हो गया है। वायरल फीवर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक दवा सिफेक्सिम-200 सहित कई जरूरी अन्य दवाएं खत्म हो गई हैं। इसके चलते मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। बुधवार को काउंटर से दवा न मिलने के चलते कई मरीज मायूस होकर लौट गए।