मुरादाबाद। जिला अस्पताल में मानसिक रोगियों को दी जाने वाली दवा का टोटा बना हुआ है। बता दें कि सरकार ने मानसिक रोगियों की सहूलियत के लिए ओपीडी व्यवस्था शुरू कराई है, लेकिन इस व्यवस्था को लापरवाही का पलीता लग रहा है। दरअसल फ्लूक्सोटाइन 20 एमजी, एसकीटेलोप्राम 10 एमजी, एसकीटेलोप्राम 20 एमजी, सरट्रेलाइन 50 एमजी, कारबेमेजीडाइन 200 एमजी, कारबेमेजीडाइन 400 एमजी, पैराक्सीटाइन एसआर 12.5 एमजी, लोराजीपाम 1 एमजी, एमिट्रिप्टीलाइन 25 एमजी दवाओं का टोटा है। पिछले तीन माह से मानसिक रोग ओपीडी में दवाइयां नहीं हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी-डा. एमसी गर्ग के अनुसार मरीजों के लिए दवा का पूरा इंतजाम है। कारपोरेशन से दवाइयां मिलती हैं। मानसिक रोगियों की दवा के लिए कारपोरेशन को रिमाइंडर पत्र कई बार भेजा जा चुका है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी-डा. जीएस मर्तोलिया ने बताया कि कारपोरेशन से दवा नहीं मिल पा रही है। हमारे पास लोकल खरीदारी का भी बजट अब नहीं है। पिछले कई माह से मानसिक रोगियों को दवा नहीं मिल पाई है। कारपोरेशन को रिमाइंडर भेजा जा रहा है।

हालात ये हैं कि मानसिक रोग से पीड़ित मरीज को अगर एक भी दिन दवा नहीं मिले तो उसकी हालत बिगड़ने लगती है। जिला अस्पताल में बनी मानसिक रोग ओपीडी में प्रतिदिन 50 से 75 मरीज पहुंचते हैं लेकिन, उन्हें दवाइयां नहीं मिलतीं। दो से तीन प्रकार की दवाइयां देने के बाद बता दिया जाता है कि बाकी दवा बाजार से खरीदनी पड़ेगी। अभी कारपोरेशन से दवा नहीं मिली है। मरीजों की सहूलियत के लिए सरकार ने मानसिक रोग ओपीडी स्टार्ट कराई थी। अब सिर्फ 3 टेबलेट देकर मरीजों को बाहर की दवाई लिखकर दी जा रही है। इससे प्रतिदिन मरीज परेशान हो रहे हैं।