नई दिल्ली: जीएसटी शुरू होने के बाद दवा उत्पादन का हब माने जाने वाले हिमाचल में सिविल सप्लाई की दुकानों पर दवा समस्या खत्म करने के लिए सरकार ने दवा पर मिल रही साढ़े दस फीसदी छूट खत्म कर दी है। नया साफ्टवेयर डाउनलोड नहीं होने के कारण कुछ समय के लिए यह निर्णय प्रभावी होगा। फिलहाल ग्राहकों को बिना छूट दवा खरीदनी होगी। मूल रूप से कुछ दवाओं पर जीएसटी के बाद टैक्स बढ़ गया। इस कारण छूट के साथ दवा विके्रताओं को नुकसान की आशंका थी। लिहाजा सप्लायर और कारोबारी दवा देने से मना करने लगे। मरीजों में इससे दिक्कत बढ़ गई।
     आईजीएमसी समेत प्रदेश के कईबड़े अस्पतालों में दवा दुकाने बंद होने की स्थिति में पहुंच गई थी। बीते बुधवार को इस बाबत बैठक भी हुई जिसमें मंथन के बाद नया सॉफ्टवेयर या बिक्री की नई दरें आने तक छूट की राशि खत्म करने के निर्देश जारी किए हैं।
     प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव खाद्य आपूर्ति तरूण कपूर के मुताबिक, सभी उचित मूल्यों के दुकानधारकों को जीएसटी कानून के तहत पंजीकरण कराने के निर्देश दिए हैं। उचित मूल्य दुकानधारकों को पंजीकरण करवाना इसलिए अनिवार्य होगा ताकि निगम से खरीदे गए समान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिल सके। उचित मूल्य दुकानधारकों को हर माह बिक्री आधारित रिर्टन भरनी होगी। जो उचित मूल्य दुकानधारक पंजीकरण नहीं करेंगे उन्हें इनपुट टैक्स के्रडिट का लाभ नहीं मिलेगा। निगम के कंप्यूटर डाटा बेस में भी जीएसटी कानून प्रावधानों के अनुसार अपडेट कर दिया गया है ताकि वितरण प्रणाली के तहत बिक्री में दिक्कत न आए।