बरेली। कोरोना काल में लोगों ने जमकर कालाबाजारी कि लेकिन जैसे ही उसकी जांच शुरू हुई तो लोगों में हड़कंप मच गया। अब इसी कड़ी में कई लोगों के लाइसेंस निरस्त हो रहें है तो कई लोगों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रहीं है। दरअसल कोरोना महामारी में जीवन रक्षक उपकरणों और उत्पादों की कालाबाजारी और अनियमितता की पुष्टि होने पर सहायक ड्रग आयुक्त संजय कुमार ने डीडीपुरम स्थित मेहता सर्जिकल्स का लाइसेंस निरस्त कर दिया है। उन्होंने कहा है कि कालाबाजारी की शिकायतों पर आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।

बता दें कि प्रशासन और एफएसडीए की टीम ने 12 मई को डीडीपुरम में मेहता सर्जिकल्स पर छापा मारकर उत्पादों की बिक्री में अनियमितता पकड़ी थी। एसडीएम सदर विशु राजा और तत्कालीन ड्रग इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा की जांच में बिना लाइसेंस पैकेजिंग होते पीपीई पकड़ी गईं। एक्सपायर हो चुकी पीपीई किट को भी नए सिरे से पैक किया जा रहा था। सैनिटाइजर की बोतल पर लेबल नहीं थे। री-लेबलिंग मानते हुए उनकी दुकान और गोदाम को बंद कराया गया था। मामले में प्रेमनगर पुलिस ने मेहता सर्जिकल्स के संचालक अजय मेहता, उसकी पत्नी सोनिका मेहता, बेटा सुशांत मेहता के साथ ही मेहता ट्रेडर्स के मालिक उनके भाई सुनील मेहता और उनके परिवार वालों के भी नाम खोले थे। अजय मेहता और उसकी पत्नी को कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई। वहीं, सुनील मेहता ने एसएसपी से मुलाकात क र अपना कारोबार अजय मेहता से अलग बताकर मेहता सर्जिकल्स से कोई संबंध न होने की बात कही थी।

मेहता सर्जिकल स्टोर पर उत्पादों में खेल के साथ ही, जीवन रक्षक उपकरणों को भी दस गुने दाम में बेचा जा रहा था। इसका पता तब लगा, जब बिहारीपुर के गौरव सक्सेना अपने परिचित के लिए ऑक्सीमीटर और फ्लोमीटर खरीदने मेहता सर्जिकल्स पहुंचे। इस दौरान उन्हें ऑक्सीमीटर 16 सौ रुपये का बताया गया। सौदागरान के नीरज रस्तोगी ने बताया कि मेहता सर्जिकल्स पर उन्हें ऑक्सीजन सिलिंडर पर लगने वाला फ्लोमीटर आठ हजार रुपये का बताया गया और एडवांस भुगतान करने पर देने को कहा। बाद में उन्हेें दूसरी दुकान से उसी कंपनी का फ्लोमीटर 3500 रुपये और ऑक्सीमीटर 1200 रुपये में मिल गया था। छापामारी में बड़े पैमाने पर अनियमितता और धांधली की पुष्टि होने पर औषधि विभाग ने आरोपी अजय मेहता को सर्जिकल आइटम के पक्के बिल सहित अन्य दस्तावेजों को पेश करने के लिए तीन दिन का समय दिया था। मगर यह समय बीतनेे के बाद भी आरोपी की ओर से दस्तावेज पेश नहीं किए गए थे। इसके बाद ड्रग विभाग ने कड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी और अब लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।

दरअसल मई माह में एक ऑडियो वायरल होने के बाद तत्कालीन औषधि निरीक्षक उर्मिला वर्मा ने थाना प्रेमनगर में राजेंद्रनगर निवासी पारस गुप्ता के खिलाफ ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले में प्रेमनगर पुलिस और फिर क्राइम ब्रांच उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। इसके बाद आरोपी ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के आरोप में पिछले महीने थाना फतेहगंज पश्चिमी में संस्कार अग्रवाल ने वहां के दवा कारोबारी अनमोल अग्रवाल और प्रियांक अग्रवाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि उन्हें कोविप्री नाम के दो नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन 90 हजार रुपये में बेचे गए, जिससे उनके पिता को कोई लाभ नहीं हुआ और उनकी मौत हो गई।