शोध में दावा, ब्रांडेड और जेनरिक दवाएं गुणवत्ता में एकसमान
नई दिल्ली। कैमिस्ट अक्सर अपने मुनाफे के चक्कर में मरीज को पर्ची पर लिखी ब्रांडेड दवा ही देते हैं। जबकि वे जेनरिक दवाएं बेचकर भी बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। बशर्ते वे मरीज को इसके लिए प्रेरित करें। ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले जेनरिक दवाएं मरीज के लिए काफी सस्ती होने पर भी मेडिकल स्टोर संचालक को अच्छा कमिशन दिलाती हैं। कई जेनरिक दवाएं कंपनी की कीमत से दस गुना ज्यादा पर बिकती हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के फार्माकोलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की स्टडी में बताया गया है कि भारत में जेनरिक दवाएं दो रूप में मिलती हैं। एक ब्रांडेड, जिसे कंपनी प्रचार व एमआर के जरिए मरीजों तक पहुंचाती हैं। दूसरी ब्रांडेड जेनरिक, जिन्हें मेडिकल स्टोर में रखा जाता है। स्टडी में यह भी सिद्ध हुआ है कि ब्रांडेड और जेनरिक दवाएं गुणवत्ता के मामले में एकसमान हंै।  यह अलग बात है कि डॉक्टरों की ओर से कहा जाता है कि विभिन्न नामों से बिकने वाली जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता एक जैसी नहीं होती। शोध के अनुसार जेनरिक दवाएं मरीजों व उनके तीमारदारों के लिए तो अच्छी हैं ही, दुकानदारों के लिए भी मुनाफा कमाने का अच्छा विकल्प हैं। अगर दुकानदार, डॉक्टरों की लिखी ब्रांडेड दवाओं की बिक्री के बजाय लोगों को जेनरिक दवाएं खरीदने के लिए प्रेरित करे तो उसे ज्यादा मुनाफा होगा।