कोटा (राजस्थान)। जिला अस्पताल के निशुल्क काउंटरों में भीषण गर्मी के बीच दवाएं खुले में रखी हैं। इन दवाइयों पर 25 से 30 डिग्री सेल्सियस में रखने की चेतावनी दर्ज है। इसके बावजूद दवाइयों को 45 डिग्री तापमान में खुले में रखा जा रहा है। ऐसे में दवाइयां खराब होने की आशंका गहरा गई है। दवाइयों के रखरखाव के समुचित इंतजाम नहीं हो रहे हैं। ऐसी लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ सकती है। राज्य सरकार की ओर से सरकारी अस्पताल के निशुल्क दवा काउंटरों में फ्रीज की व्यवस्था करने के निर्देश दे रखे हैं। एसआरजी अस्पताल में अधिकतर काउंटरों पर तो फ्रीज है, लेकिन कुछ काउंटरों पर फ्रीज नहीं होने से नियंत्रित तापमान पर दवाइयों को सहेजने के बंदोबस्त नहीं किए जा रहे हैं। यहां तक कि जिला अस्पताल के औषधि भंडार में भी मात्र एक कूलर के भरोसे दवाइयां रखी है। जिला अस्पताल में मौके पर पहुंचकर दवा काउंटरों की स्थिति देखी तो कुछ फ्रीज खराब मिले, उनमें कूलिंग नहीं हो रही थी। वहीं कुछ फ्रीज खाली मिले। 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखी जाने वाली दवाइयां 45 डिग्री पर खुले में रखी हुई हैं। निशुल्क दवा काउंटरों पर क्यूपिक सीरप, एलबेंडाजोल, एमोक्सि सीलिन आदि दवाइयों को अधिक नुकसान की आशंका बनी हुई है।
चिकित्सा सूत्रों के अनुसार दवाइयों के लिए निर्धारित तापमान पर ही स्टोर करना होता है। इसकी चेतावनी दवाइयों के रैपर पर दर्ज होती है। कुछ दवाइयों को 25 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त रहता है। वहीं, अधिकांश दवाइयां 32 डिग्री के तापमान पर सहेजनी होती हैं। अस्पताल में ऐसे इंतजाम कम हैं। अगर चिकित्सा विभाग की ओर से गर्मी के मौसम व बढ़ते तापमान को देखते हुए निशुल्क दवा केंद्रों पर ठंडक रखने की व्यवस्था नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में विभाग को लाखों रुपए की चपत लग सकती है। जहां पर कूलर की व्यवस्था नहीं है, वहां कूलर लगाने होंगे। ड्रग इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार राठौर का कहना है कि वैसे तो अलग-अलग दवाइयों के लिए अलग-अलग तापमान होता है। कोल्ड दवाइयों के लिए कम तापमान होना चाहिए। उनको 20 से 25 डिग्री पर रखा जाता है, ऐसे में उनको फ्रीज में रखना होता है। अगर इससे अधिक तापमान में दवाइयां रहती है तो उनके खराब होने के चांस अधिक होते हैं।