नई दिल्ली : राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) ने राज्य चिकित्सा परिषदों से एक अधिकारी नियुक्त करने को कहा है जो झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अदालत या किसी अन्य संबंधित प्राधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकता है।
एनएमसी द्वारा 14 जुलाई को जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि एनएमसी अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अनुसार, गैर-पंजीकृत/नामांकित व्यक्ति द्वारा इलाज और चिकित्सा पद्धति का कार्य धारा 34 के तहत दंडनीय अपराध है।
एनएमसी के एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड (ईएमआरबी) के सदस्य डॉ योगेंद्र मलिक द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है, आयोग या ईएमआरबी या राज्य चिकित्सा परिषद द्वारा अधिकृत अधिकारी के माध्यम से इस संबंध में लिखित शिकायत पर अदालत एनएमसी अधिनियम की धारा 54 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान लेगी।
एनएमसी अधिनियम की धारा 34 के अनुसार, जो व्यक्ति राज्य रजिस्टर या राष्ट्रीय रजिस्टर में पंजीकृत नहीं है, वह चिकित्सा या फिटनेस प्रमाण पत्र या किसी अन्य प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने या उसे प्रमाणित करने का हकदार नहीं है।
अधिनियम में कहा गया है, कोई भी व्यक्ति जो इस धारा के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है, उसे एक वर्ष तक की कैद या पांच लाख रुपए तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
धारा 54 में कहा गया है कि कोई भी अदालत इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान नहीं लेगी, जब तक कि आयोग या नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड या राज्य चिकित्सा परिषद की ओर से अधिकृत अधिकारी द्वारा इस संबंध में लिखित शिकायत न की जाए। परिपत्र में कहा गया है कि राज्य चिकित्सा परिषद इस संबंध में आयोग को एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।