चेन्नई। अपनी दवा वॉलिनी ब्रांड के ट्रेडमार्क को सुरक्षित बनाने के लिए सन फार्मा की कार्रवाई पर बौद्धिक संपदा अपील बोर्ड (आईपीएबी) ने दिल्ली की एकम्स ड्रग्स ऐंड फार्मास्युटिकल की तरफ से पंजीकृत वॉलिकिंग को ट्रेडमार्क के रजिस्टर से हटा दिया। यह शिकायत रैनबैक्सी ने दर्ज कराई थी, जिसका अधिग्रहण सन फार्मा ने किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि वॉलिकिंग भ्रामक रूप से पहले से पंजीकृत ट्रेडमार्क वॉलिनी जैसी है। वॉलिनी का ट्रेडमार्क रैनबैक्सी ने साल 1993 में अपनाया था और तब से इसका इस्तेमाल कंपनी दवा बनाने में कर रही है। एकम्स ड्रग्स ने दावा किया कि इसने ईमानदारी से यह ट्रेडमार्क अपनाया है। वॉलिकिंग में शामिल वॉलि को वॉली से लिया गया है, जिस शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर खेल (फुटबॉल व टेनिस) मेंं होता है और चिकित्सा के क्षेत्र में इसका काफी महत्व है। इसका अर्थ उस स्थिति से है जहां तत्काल चिकित्सीय सहायता की जरूरत होती है। यह उत्पाद इन्हीं चिकित्सीय स्थिति में इलाज में इस्तेमाल होता है। आईपीएबी ने कहा कि अपने आदेश में न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह, चेयरमैन और संजीव कुमार चसवाल (तकनीकी सदस्य, ट्रेडमार्क) ने नवंबर के आखिर में कहा था कि हमारी राय में वॉलिकिंग का ट्रेडमार्क भ्रामक तौर पर आवेदक के ट्रेडमार्क वॉलिनी के समान है। ऐसे में वॉलिकिंग को ट्रेडमार्क रजिस्टर से बाहर किया जाता है। देश के दर्द निवारक ब्रांडों में वॉलिनी तीसरा सबसे बड़ा ब्रांड है। देश में दर्द निवारक दवा का बाजार नवंबर 2018 में करीब 85.77 अरब रुपये का था और इसमें पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 7.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।