नई दिल्ली। सरकार अब सभी तरह की दवाओं के दाम तय करने जा रही है। नीति आयोग इसके लिए एक फॉर्मूला तैयार कर रहा है, जिसमें ट्रेड मार्जिन के आधार पर दवाओं के दाम कंट्रोल किए जा सकेंगे। सरकार फिलहाल चुनिंदा दवाओं के दाम तय करती है। गौरतलब है कि दवाओं की कीमत में अनियंत्रित मुनाफाखोरी बढ़ती जा रही है। इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। नीति आयोग की अगुवाई में स्वास्थ्य मंत्रालय और फार्मा मंत्रालय के अधिकारी फॉर्मूला तैयार करने में जुटे हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल ने कहा कि जल्द ही फॉर्मूला तैयार कर लिया जाएगा।
दरअसल, फार्मा कंपनियां एक ही सॉल्ट को अलग-अलग ब्रांड नेम से अलग-अलग प्रॉफिट मार्जिन पर अस्पतालों और रिटेलर्स को बेचती हैं। नतीजा यह होता है कि जो ब्रांच ज्यादा मुनाफा देता है, कई बार डॉक्टर और अस्पताल उसी दवा को रिकमेंड करते हैं और उसकी बिक्री बढ़ जाती है। इस कंपटीशन में मरीजों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। सूत्रों के मुताबिक, नीति आयोग दवाओं की कीमत को फस्र्ट प्वाइंट ऑफ सेल अर्थात बिक्री की पहली जगह पर ट्रेड मार्जिन तय करना चाहती है। इससे कंपनी और अस्पतालों की मुनाफाखोरी पर लगाम लगेगी और मरीजों को उपयुक्त दर पर दवाएं मुहैया की जा सकेंगी। मगर इंडस्ट्री और अस्पताल दोनों को इस पर ऐतराज है। सरकार दवाओं की कीमत निर्धारित करने वाली संस्था एनपीपीए के माध्यम से सिर्फ जीवनरक्षक दवाओं की कीमत निर्धारित करती है, लेकिन हमारे देश में दवाओं का घरेलू उद्योग करीब 1 लाख करोड़ का है जिसका सिर्फ 17 फीसदी ही कीमत नियंत्रण के दायरे में है।