रोहतक। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों के लिए चयनित डाक्टरों में से 168 डॉक्टर चार माह बीत जाने के बावजूद भी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अब इन डॉक्टरों की नियुक्ति रद्द कर वेटिंग वाले उम्मीदवारों को आमंत्रित किया है।

अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पर विधानसभा के बजट सत्र में भी खूब हंगामा हुआ था। करीब डेढ़ साल पूर्व शुरू हुई 662 डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया में गत 4 अक्टूबर को 554 डॉक्टरों की नियुक्ति फाइनल हुई थी लेकिन अधिकतर ने ज्वाइन ही नहीं किया। प्रतीक्षा सूची के डॉक्टरों को मौका देने के बावजूद जब सीटें नहीं भरी तो पहली सूची के डॉक्टरों को फिर से 28 फरवरी तक ज्वाइन करने को कहा गया।

अभी तक कुल 386 डॉक्टरों ने ही सरकारी अस्पतालों में ज्वाइन किया है, लेकिन कई बार नोटिस के बावजूद 168 डॉक्टरों ने सरकारी नौकरी में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान महासचिव अमित झा ने इन सभी डॉक्टरों के नियुक्ति पत्र रद कर दिए हैं।

सरकारी अस्पतालों के 160 डॉक्टर लंबे समय से बगैर किसी सूचना के गायब हैं। स्वास्थ्य विभाग के पास इन डॉक्टरों के निजी अस्पतालों में सेवाएं देने की सूचना है, लेकिन इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। इन्हें कई बार नौकरी ज्वाइन या रिजाइन करने के लिए कहा गया, परंतु इन्होंने कोई जवाब देना तक मुनासिब नहीं समझा।

हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के मुताबिक डॉक्टरों के सरकारी नौकरी में नहीं आने की बड़ी वजह काम का बोझ और असुरक्षित माहौल है। उन्हें पूरे सेवाकाल में एक ही पदोन्नति मिलती है। निजी क्षेत्र में  वेतन बेहतर मिलता है और काम भी ज्यादा नहीं होता।