जालंधर। राज्य सरकार ने नशे के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां सस्ती कर दी हैं। नशे की गिरफ्त में आ चुके मरीजों को सस्ता इलाज मुहैया करवाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। वहीं, अस्पतालों में रेट लिस्ट डिस्प्ले करने के आदेश दिए गए हैं। उधर, निजी नशा छुड़ाओ केंद्र इन सस्ती दवाओं को बेचने में रुचि नहीं दिखा रहे। दरअसल, ये निजी केंद्र अभी तक मरीजों से अधिक पैसे वसूल रहे थे। इन पर अब शिकंजा कसने की बात कही गई है।
गौरतलब है कि राज्य में 35 सरकारी व 106 निजी नशा छुड़ाओ केंद्र संचालित हैं। जालंधर जिले के पांच नशा छुड़ाओ केंद्रों के डॉक्टरों ने बूर्फीनोरफीन 2 एमजी व निलोक्सीन 0.5 एसजी की दवा न खरीदने और बेचने का फैसला किया है। इस बारे में सेहत विभाग को भी सूचित कर दिया है। वहीं, सेहत विभाग नशा छुड़ाओ केंद्रों में उक्त दवा खरीदने व बेचने का लेखा-जोखा रख रहा है। इसके बाद निजी सेंटरों ने इन दवाओं को बेचने से हाथ खींच लिया है।
सरकार ने बूर्फीनोरफीन 2 एमजी व नेलोजॉन 0.5 एसजी की गोली 7.50 रुपये बेचने के और निजी नशा छुड़ाओ केंद्रों को 6 रुपये प्रति गोली मुहैया करवाने के निर्देश दिए थे। इससे पहले निजी नशा छुड़ाओ केंद्र मरीजों से 35-38 रुपये प्रति गोली वसूल रहे थे और लेखा-जोखा भी मनमर्जी के साथ रखते थे। विभाग से सस्ती दवा खरीदने के लिए भी अब निजी केंद्रों के डॉक्टरों की संख्या कम है। नशा छुड़ाओ केंद्र एवं पुनर्वास केंद्रों के डॉक्टरों ने सिविल सर्जन के साथ बैठक की थी। बैठक में संतुष्ट नहीं होने के बाद जिले के पांच केंद्रों ने बूर्फीनोरफीन 2 एमजी व निलोक्सीन 0.5 एसजी की दवा न खरीदने और न बेचने की बात कही थी। सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदर कौर चावला का कहना है कि नशा छुड़ाओ केंद्रों में दवा की नीति लागू करवाने के लिए बैठक हुई थी, जिसमें पांच केंद्रों ने दवा न खरीदने व न ही बेचने को लेकर विभाग के लिखित रूप में दे दिया है। इन केंद्रों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। इनसे दवा बरामद हुई, तो कार्रवाई की जाएगी। अन्य केंद्रों में भी दवाओं की बिक्री व स्टाक की जांच की जाएगी।