भोपाल: दवा कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय ने ड्रग प्राइज कंट्रोल (डीपीसी) सिस्टम लागू किया है। ताकि मरीजों को सस्ती दर पर दवाइयां उपलब्ध हो सके। मंत्रालय ने 400 से अधिक दवाओं को डीपीसी के दायरे में शामिल कर सस्ता किया है। लेकिन दवा निर्माता कंपनियों ने भी सरकार के साथ अपने सिस्टम में बदलाव कर मुनाफे राह प्रशस्त कर ली है।
सरकार जिन दवाओं को डीपीसी के अंतर्गत लाकर उनके दाम न्यूनतम निर्धारित करती है, उनसे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कंपनियां दूसरे उत्पाद की कीमतें बढ़ा रही हैं। ये वे दवाइयां हैं जो डीपीसी में शामिल नहीं हैं। जब मामला औषधि नियंत्रक के पास पहुंचा तो उन्होंने पूरी जानकारी जुटाकर पड़ताल करने के बाद कार्रवाई की बात कही। जानकारी के मुताबिक, फ्रेंको इंडिया की दवा सरफाज-ओ को सरकार ने डीपीसी में शामिल किया। जिससे इसका मूल्य 32 रुपए से आधा होकर 16.24 रुपए हो गया। ऐसे में कंपनी ने डेक्सोरेंज सीरप का दाम 94 रु. से बढ़ाकर 99.50 रु.कर दिया।
दवा कंपनी मेनकाइंड की दवा एमलोकाइंड टेबलेट का रेट डीपीसी में आने के बाद 12.94 से 11.61 रुपए हो गया। इस बीच पता चला कि कंपनी ने एक्नेस्टार जेल का रेट 60 से बढ़ाकर 70 रुपए कर दिया। इस तरह के कई मामले सामने आए हैं जहां कंपनियां मनमानी कर मरीजों से अनावश्यक पैसे वसूल रही हैं। दवा कंपनी इपका की दवा की कीमत ल्यूमेरेक्स डीपीसी में आने के बाद 175 रुपए से घटकर 136.10 रुपए हो गई। कंपनी ने अपने दूसरे प्रोडक्ट जीरोडॉल एसपी टेबलेट का रेट 65 रुपए से बढ़ाकर 72 रुपए कर दिया।