नोएडा। चाइल्ड पीजीआई में डॉक्टरों के रिजाइन कर चले जाने से 85 तरह की दवाइयां खराब हो जाने की बात सामने आई है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने दवाइयां खराब होने के संबंध में जवाब मांगा था। इसके जवाब में चाइल्ड पीजीआई प्रशासन ने बताया है कि कई डॉक्टरों ने रिजाइन कर दिया, जिसकी वजह से दवाइयां खराब हो गईं। रिजाइन करने वाले डॉक्टरों ने ये दवाइयां मंगाई थीं। संस्थान छोडऩे के कारण इनका इस्तेमाल नहीं हो सका। करीब 8 लाख रुपए की दवाइयां बर्बाद हो गई थी। बता दें कि पिछले तीन साल में 15 डॉक्टर पीजीआई से रिजाइन कर चुके हंै।
कैग को भेजी गई रिपोर्ट में चाइल्ड पीजीआई प्रशासन ने तर्क दिया है कि संस्थान में फॉर्मासिस्ट कम हैं। फार्मेसी विभाग में उच्च तरीके के सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण दवाओं का सत्यापन नहीं हो सका। कुछ प्रतिशत दवाएं और सर्जिकल सामग्री का एक्सपायर होना स्वाभाविक है। क्योंकि जिन वेंडरों से दवाइयां खरीदी जाती हैं, वे समय रहते इन्हें वापस नहीं ले जाते हैं।
गौरतलब है कि कैग की टीम ने नवंबर में पीजीआई का निरीक्षण कर 2015-16 से 2019 तक खरीदी गईं दवाइयों की जांच की थीं। इसमें 85 तरह की दवाइयां एक्सपायर मिली थीं। इनकी कीमत 8,19,898 रुपये तय की गई थी। कैग के पत्र के मुताबिक ये सभी दवाइयां समय से पहले उपयोग में नहीं लाई गईं, जिसकी वजह से एक्सपायर हो गईं। इनमें एस्मौलोल इंजेक्शन, कैल्शियम बी12 सिरप, पैरासिटामॉल, फिलग्रासटिक इंजेक्शन, ट्रॉमाडोल, लिग्रोकैन, क्लोरोक्विन, आईवी फ्लूड, नलैक्सोन इजेक्शन, ईसीजी जैल समेत कई दवाइयां एक्सपायर हो गईं।