गुडग़ांव। मानेसर स्थित देश के एकमात्र नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में पहली बार मनोवैज्ञानिक इंडियन ब्रेन टैंपलेट (भारतीय मस्तिष्क का खाका) तैयार करने में जुटे हुए हैं। इसके लिए देश के लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 200 वॉलंटियर्स के दिमाग का स्कैन किया जाएगा। टैंपलेट बनाने के लिए सभी ‘एमआरआई स्कैन इमेज’ को कंप्यूटर पर कंपाइल करके एक जटिल संरचना तैयार की जाएगी। इसकी डिटेल एनालिसिस करने के बाद कंप्यूटर पर एक आदर्श रूपरेखा बनेगी। यह साइंटिस्ट और डॉक्टरों को ब्रेन की एनाटॉमी (संरचना) समझने में गाइड का काम करेगी। इसी आधार पर इलाज और आगे रिसर्च में भी मदद मिलेगी।

इंडियन ब्रेन टैंपलेट से जुड़ी रिसर्च टीम में शामिल प्रोफेसर पी मंडल ने बताया कि अभी तक कनाडा के ब्रेन टैंपलेट के आधार पर भारतीयों का इलाज किया जा रहा था। भारतीय ब्रेन टैंपलेट से इलाज कितना बेहतर होगा, यह कहना मुश्किल है। मगर इससे भारतीय लोगों के ब्रेन की जटिलताओं और बीमारियों को समझने में मदद जरूर मिल सकती है। इसका मुख्य उद्देश्य मस्तिष्क को और गहराई से समझना है ताकि आगे जो भी करें ज्यादा बेहतर अंडरस्टैंडिंग के साथ कर सकें। इस रिसर्च के लिए डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा फंड दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि भारतीय ब्रेन टैंपलेट के अप्रूवल के बाद इसे ऑनलाइन किया जाएगा ताकि देशभर में चिकित्सक इसे देख सकें और इसके आधार पर मरीज का इलाज कर सकें। साथ ही किसी इंटरनेशनल जर्नल में भी पब्लिश किया जाएगा। इसके बाद ही विश्व में यह मान्य होगा। रिसर्च सेंटर में ऑस्ट्रेलिया के साथ अल्जाइमर पर भी रिसर्च चल रही है। इसमें ब्रेन में पाए जाने वाले ग्लूटाथायोन के स्तर पर शोध हो रहा है। यह देखा जा रहा है कि उम्र के साथ इसमें क्या बदलाव होता है। उम्र के साथ याददाश्त कमजोर होने में इसका रोल होता है। साथ ही ब्रेन में आयरन के स्तर को भी देखा जा रहा है।