जबलपुर। चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े लोगों को अपनी चिकित्सा पद्धति के बाहर की दवाएं न लिखने के निर्देश दिए गए हैं। इनकी पालना नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष मिश्रा ने उक्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बीएएमएस, होम्योपैथिक, यूनानी विषय में उपाधि प्राप्त एवं भोपाल बोर्ड से पंजीकृत योग्यताधारी अनेक बीएएमएस और बीएचएमएस, बीयूएमएस चिकित्सकों द्वारा अपनी चिकित्सा पद्धति में दवाएं लिखने के स्थान पर एलोपोथी में दवाएं लिखने और उन दवाओं से मरीजों को नुकसान होने सम्बन्धी शिकायतें मिल रही हैं। यह गैरकानूनी है। आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सकों के द्वारा ऐसा करने से उनका पंजीयन निरस्त हो सकता है। कोरोना महामारी के संक्रमण काल में अनेक आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक, यूनानी चिकित्सकों के द्वारा सर्दी-जुकाम-बुखार आदि का एलोपैथिक पद्धति से इलाज किये जाने सम्बन्धी शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इससे कोरोना मरीज की शीघ्र जांच में देरी होती है। इसके अलावा कई बीएएमएस और बीएचएमएस, बीयूएमएस चिकित्सक अपने क्लीनिक का पंजीयन भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में कराये बिना ही चिकित्सा व्यवसाय कर रहे हैं, जो कि गैरकानूनी है। अत: वे शीघ्र ही अपने दवाखाने का पंजीयन संबंधी कार्रवाई पूर्ण कर लें।