रांची। मरीज के लिए डॉक्टर की लिखी दवा का ब्रांड बदलने में राज अस्पताल की अनियमितता सामने आई है। राज्य औषधि निदेशालय द्वारा गठित जांच टीम ने अस्पताल की जांच कर उसकी रिपोर्ट निदेशालय को सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार टीम ने पाया कि डॉक्टर अस्पताल में भर्ती मरीज को जिस ब्रांड की दवा लिखते हैं, अस्पताल की फार्मेसी अपने मुनाफे के लिए उस ब्रांड को ही बदल देती है। इसका खुलासा अस्पताल में भर्ती हुए सुशील मिंज, एसडी राम व स्वर्ण कुजूर को डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा की सूची व अस्पताल की फार्मेसी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची का मिलान करने पर हुआ। टीम ने जब एमआरडी विभाग से मरीज के रिकॉर्ड को मंगा कर देखा, तो इसकी पुष्टि हो गई। वहीं, डॉक्टरों को अगले दिन वार्ड में राउंड के दौरान दवा का ब्रांड बदले जाने की जानकारी मिलती है। जांच में हड्डी इंप्लांट की खरीद में भी गड़बड़ी पाई गई। अस्पताल में हड्डी का ऑपरेशन कराने आई सरस्वती देवी के बिल की जांच टीम ने की, तो पता चला कि मेसर्स अग्रवाल सर्जिकल से हड्डी इंप्लांट को खरीदा गया है, लेकिन इंप्लांट मरीज के नाम पर नहीं, बल्कि डॉक्टर के नाम पर मंगाया गया है। मरीज को डॉक्टर के नाम का बिल ही जारी किया गया है। वहीं हृदय के मरीज के लिए मंगाये गये स्टेंट की खरीद में भी गड़बड़ी पाई गई। उपकरण का स्टॉक रखने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता है, लेकिन जांच में लाइसेंस का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
इस संबंध में राज अस्पताल के संचालक योगेश गंभीर का कहना है कि स्टेंट व इंप्लांट की खरीद-बिक्री हम नहीं करते, इसलिए मरीज के नाम से इंप्लांट मंगाया जाता है। इसमें डॉक्टर का नाम भी रहता है। डॉक्टर ने जिस ब्रांड की दवा लिखी, अगर वह हमारे पास नहीं है तो हम मल्टीनेशनल ब्रांड का वैकल्पिक कंपोजिशन देते हैं। एक मरीज के बिल में अधिक दवा का बिल हुआ था, लेकिन यह लिपिकीय भूल थी, जिसे सुधार लिया गया था।