लखनऊ। खांसी सिरप को नशे के लिए कारोबार करने के आरोप में चार फार्मा कंपनियों के लाइसेंस को ड्रग विभाग ने रद कर दिया है। प्रदेश में कोडीनयुक्त दवा बेचने वाले राजधानी के चार थोक कारोबारियों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। इसके साथ ही आगरा, कानपुर, प्रयागराज, बरेली, मेरठ सहित अन्य महानगरों में जांच शुरू कर दी गई है। एफएसडीए ने ड्रग इंस्पेक्टरों को दवा दुकानों की जांच के निर्देश दिए गए हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो लखनऊ और एसटीएफ वाराणसी की टीम ने 17 जनवरी 2021 को जौनपुर में 61 हजार बॉटल सीरप पकड़ा था।

यह सीरप कोडीनयुक्त थी और अवैध तरीके से रखी गई थी। सीरप की खेप सील कर दी गई। जांच के दौरान पता पता चला कि यह सीरप लखनऊ के थोक कारोबारियों के यहां से भेजी गई थी। ड्रग इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव और माधुरी सिंह ने चिह्नित किए गए चार फर्म के लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। इसमें सीतापुर के निशिथ प्लाजा स्थित माता वैष्णो फार्मास्युटिकल, अमीनाबाद मेडिसिन मार्केट के पलक फार्मा, टेढ़ी पुलिया प्रभा कांप्लेक्स के अनिका फार्मास्युटिकल्स एंड सर्जिकल, आशियाना के पार्वती ट्रेडर्स शामिल हैं। इन पर आरोप है कि एक ही व्यक्ति को बड़ी संख्या में कोडीनयुक्त दवा की आपूर्ति करके नशे के कारोबार को बढ़ा रहे हैं।

सूत्र बताते हैं कि जांच के दौरान यह भी जानकारी मिली है कि दवा डिपो के कई ट्रेडर्स अलग-अलग महानगरों में नशीली दवाओं की आपूर्ति किए हैं। ऐसे में आगरा, कानपुर, प्रयागराज, बरेली, मेरठ सहित अन्य कई महानगरों में टीम ने जांच शुरू कर दी है। थोक दुकान से बड़ी संख्या में यह सीरप लेने वाले संदेह के दायरे में हैं। क्योंकि इस दवा की बिक्री संख्या अन्य दवाओं से कम होनी चाहिए। जो दुकानदार सिर्फ इसी दवा को बड़ी संख्या में बेच रहे हैं, वे किसी न किसी रूप में नशे के कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। जौनपुर में जिस गोदाम में कोडीनयुक्त सीरप फेंसडिल पकड़ी गई थी, उसका लाइसेंस भी नहीं था। इस सीरप को रखने वाले के पास खरीद संबंधित अन्य दस्तावेज भी तत्काल नहीं मिले थे। ऐसे में आशंका जताई गई कि संबंधित गोदाम से यह दवा आसपास के बाजारों में आपूर्ति की जाती, जिसकेजरिए नशे के कारोबार को बढ़ावा मिलता है।

केजीएमयू पेन क्लीनिक प्रभारी प्रो. सरिता सिंह बताती हैं कि यह मॉर्फीन का ही एक रूप होता है। सामान्य मरीजों को यह कोडीनयुक्त दवाएं नहीं दी जाती हैं। पहले खांसी को दबाने, खून की उल्टी होने, कैंसर के मरीजों आदि में इसका प्रयोग होता था, लेकिन अब कई नई दवाएं आ गई हैं। ऐसे में इसका प्रयोग नहीं किया जाता है। कुछ परिस्थितियों में यह सीरप बच्चों को दिया जाता है, लेकिन चिकित्सक की निगरानी में। कोडीनयुक्त दवा का अधिक सेवन करना सेहत के लिए हानिकारक है। इसकी अधिक डोज लिवर, किडनी सहित अन्य ऑर्गन को प्रभावित कर सकती है।