नई दिल्ली। प्राइवेट अस्पतालों में भारी-भरकम बिलों की शिकायतों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक ड्राफ्ट एडवाइजरी जारी की है। 9 सदस्यों की एक्सपर्ट कमिटी द्वारा बनाई रिपोर्ट के आधार पर बनी ड्राफ्ट अडवाइजरी को आम लोगों के समक्ष रखा गया है। इसके बाद दिल्ली नर्सिंग होम एक्ट के नियमों में बदलाव किए जाएंगे। हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन ने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों में दवाई की ज्यादा कीमतों से लेकर बिल में तमाम तरह की गड़बड़ी की शिकायतें मिलती रही हैं। 100 रुपये के इंजेक्शन के 1000 रुपये, 400 रुपये की दवाई के 3000 रुपये तक वसूले जाने की शिकायतें मिली हैं। अब दवाई के खरीद मूल्य पर प्रॉफिट कैपिंग के साथ सर्जरी के बिलों में भी कमी होगी। इलाज में काम न आने वाली दवाइयों के बिल को भी नहीं जोड़ा जा सकेगा।
केंद्र सरकार की नैशनल लिस्ट ऑफ एसेंसिएल मेडिसिन (एनएलईएम) में शामिल दवाईयों की लिस्ट में से ही दवाई लिखने पर फोकस रहेगा। इन दवाइयों के रेट फिक्स होते हैं। अगर नॉन-एनएलईएम दवाईयां लिखनी पड़ी तो इन दवाईयों के लिए खरीद मूल्य पर 50 पर्सेंट से ज्यादा मुनाफा नहीं लिया जा सकता। 50 पर्सेंट या एमआरपी में से जो भी कम होगा, उतना बिल लिया जा सकेगा। अभी इस तरह की आइटम में कई हजार गुना मुनाफा रखा जाता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अगर किसी ग्लव्स की कीमत 10 रुपये है तो अस्पताल इसके लिए मैक्सिमम 15 रुपये ही ले सकते हैं। अगर एमआरपी 12 है तो फिर 12 रुपये ही लिए जा सकेंगे।