देहरादून। प्रदेश के आयुर्वेदिक अस्पतालों में बीते एक साल से खराब दवाओं का वितरण होता रहा। इनकी जांच रिपोर्ट आई, तब पता लगा कि जो दवाएं अस्पतालों को दी गई, वह मानकों पर खरी नहीं हैं। ऐसी तीन दवाएं हैं, जिनके सैंपल जांच में फेल आए हैं। आयुर्वेद निदेशालय ने बीते साल मै. आइएम केरल की खादिरारिष्ट एवं मै. रिसर्च सेंटर वैन परिषद बरखेड़ा, भोपाल, मध्य प्रदेश की श्वेत पर्पटी का वितरण प्रदेश के आयुर्वेदिक अस्पतालों में किया था। अस्पतालों में मरीजों को यह दवाएं लगातार दी जा ही थीं। इस वर्ष 2018 में बैजनाथ फार्मा पपरौला, हिप्र. की पुष्कर गुग्गल का भी सैंपल जांच में फेल आया है। इसके वितरण पर रोक लगा दी गई है। देहरादून के जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. केके सिंह ने बताया कि उन्होंने जिले के सभी चिकित्साधिकारी व फार्मेसिस्ट इंचार्ज को इस बारे में निर्देश दे दिए हैं। इन दवाओं के वितरण पर रोक लगाने के साथ ही उन्हें वापस मंगाया जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रांतीय आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा सेवा संघ पूर्व में सरकारी सप्लाई में प्रयुक्त होने वाली कुछ दवाओं को लेकर आपत्ति जता चुका है। संघ का आरोप है कि सैंपल फेल होने के बाद भी संबंधित कंपनियों द्वारा निम्न गुणवत्ता वाली दवा की आपूर्ति की जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी मैसर्स रिसर्च सेंटर बरखेड़ा, भोपाल की दवा खादिरारिष्ट का सैंपल फेल हो चुका है। इसके अलावा दवा में फफूंद मिलने की भी शिकायत आ चुकी है। इन दवाओं की सप्लाई न केवल सरकारी भंडार में की गई, बल्कि यही स्टॉक खुले बाजार में भी लाया गया। सरकारी अस्पतालों में दवा पर रोक लगा दी गई पर बाजार में यह दवाएं अब भी बिक रही हैं। जाहिर है कि ऐसे में लोग पिछले लंबे समय से यह खराब दवाएं खाकर अपनी सेहत और खराब करने का काम कर रहे हैं।