Thalassemia Sufferers: नागपुर जिले में थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों (Thalassemia Sufferers) को अब बाहर से खरीदकर ही दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा।  मुफ्त में मिलने वाली दवाओं से पेट दर्द, अपच और उल्टी की समस्या हो रही है। एक महीने पहले ही स्वास्थ्य विभाग  ने पहले की कंपनियों की दवाओं की खरीद बंदकर दी है। उसके स्थान पर दूसरी कंपनी की दवा मिलने के बाद से यह समस्या पैदा हुई है।

 थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों (Thalassemia Sufferers)  मरीजों को नई कंपनी की दवा से समस्या 

पूरे जिले में थैलेसीमिया पीड़ितों की संख्या 1000 से अधिक बताई गई है। इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक मरीजों को नई कंपनी की दवा से समस्या हुई है। पेशंट राइट फोरम ने सरकार से कंपनी बदलने का अनुरोध किया है। वहीं, डागा अस्पताल कें केंद्र से भी सरकार को पत्र देकर समस्या के बारे में बताया गया है। राज्य सरकार थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए हर संभव सुविधाएं दे रही है, बावजूद उनकी परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है।

थैलेसीमिया मरीजों के परिजनों ने बताया कि उनके बच्चों को नई कंपनी की दवा खाने के बाद पेट दर्द, अपचन और उल्टी जैसी शिकायतें होने लगीं हैं। इसलिए उन्होंने केंद्रों और सरकारी अस्पतालों से मुफ्त में मिलनेवाली डेफ्रॉसिरॉक्स नामक दवा लेना बंद कर दिया है। अब वे बाहर से 1600 रुपए प्रति 30 गोलियां खरीद रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई है जानकारी 

एक महीने पहले मरीजों को सिपला और सनफार्मा नामक कंपनियों की डेफ्रॉसिरॉक्स दवा मुफ्त में मिलती थी। इस कंपनी का टेंडर बंद किए जाने के बाद नई कंपनी की दवा का मरीजों पर बेअसर होने का दावा किया जा रहा है। इन दवाओं के सेवन से मरीजों में आयरन कम होने बजाय और अधिक बढ़ गया है। थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को हर दिन डेफ्रॉसिरॉक्स नाम की दवाई लेनी पड़ती है। लेकिन नई कंपनी की दवा से मरीजों की समस्याएं बढ़ गई है उन्हें उल्टी, पेट दर्द और अपच की शिकायत हो रही है।