वाशिंगटन। अमेरिकी सीनेट में दवाइयों की कीमत को नियंत्रित करने के लिए तैयार किए गए बिल से अमेरिका का दवा उद्योग गहरे अंदेशे में डूब गया है। उसे आशंका है कि अगर ये बिल पास हुए तो उसके मुनाफे पर भारी फर्क पड़ेगा। इसके अलावा यह चर्चा भी है कि राष्ट्रपति जो बाइडन अपने महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज के लिए धन जुटाने के मकसद से जिन कारोबार पर टैक्स लगाने की योजना बना रहे हैं, उनमें दवा उद्योग भी है। एक अनुमान के मुताबिक मेडिकेयर योजना के तहत दी जाने वाली दवाओं की कीमतों की सीमा भी अगर तय की गई तो उससे सरकार को 50 अरब डॉलर की बचत होगी।

हालांकि जो बिल डेमोक्रेटिक सांसद ले आए हैं, उसमें जितनी बचत का अनुमान लगाया गया है, उसकी तुलना में ये बचत नगण्य है। विश्लेषकों का कहना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी आमतौर पर उद्योग जगत के हितों का ख्याल रखती है। लेकिन अब पार्टी के अंदर प्रोग्रेसिव धड़े की बढ़ी ताकत के कारण पार्टी का नेतृत्व दबाव में है। दरअसल दवा उद्योग को ज्यादा चिंता इस बात की है कि इस देश में चल रही बहस के बीच बड़ी संख्या में आम लोग दवा उद्योग के प्रति नाराजगी जता रहे हैं। ऐसे लोगों में वे भी हैं, जो रिपब्लिकन पार्टी के मतदाता हैं। ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी दवा उद्योग के मुनाफे को बचाने के लिए किस हद तक जाएगी, इसको लेकर संशय पैदा हो गया है।

वेबसाइट पोलिटिको.कॉम पर छपी एक विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के डेमोक्रेटिक सदस्यों ने इस पर चर्चा शुरू कर दी है कि क्या इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज के लिए दवा उद्योग पर टैक्स लगाया जाए। इस पर दवा उद्योग के लॉबिस्ट्स ने पोलिटिको.कॉम से कहा कि ऐसा लगता है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए दवा उद्योग को गुल्लक की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। उधर उच्च सदन सीनेट में मंगलवार को बजट समिति के अध्यक्ष बर्नी सैंडर्स दवाओं की कीमत को लेकर सुनवाई शुरू कर दी। वेबसाइट के मुताबिक सुनवाई की खबर से दवा उद्योग परेशान नजर आया।

दवा उद्योग के लिए लॉबिंग करने वाली कंपनी फरमा के प्रवक्ता ब्रायन न्यूवेल कहा है कि दवा उद्योग इस पर बातचीत करने के लिए तैयार है कि कैसे मरीजों को दवाओं पर अपने पॉकेट से कम खर्च करना पड़े। लेकिन वह यह भी चाहता है कि भविष्य में आविष्कार की संभावनाओं की भी रक्षा की जाए। दवा उद्योग का यह पुराना तर्क है कि दवाओं की कीमत घटाने से भावी आविष्कारों पर उलटा असर पड़ेगा। दवा उद्योग के कुछ लॉबिस्ट्स को भरोसा है कि वे डेमोक्रेटस सांसदों से बातचीत करके उन्हें कीमतों में कम कटौती के लिए राजी करने में सफल हो जाएंगे।

हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में प्रोग्रेसिव गुट की प्रमुख प्रमिला जयपाल ने कहा है कि दवाओं में कटौती को लेकर आक्रामक रुख अपनाने की जरूरत है। उन्होंने पिछले दिनों कहा था- अंतिम उद्देश्य यह है कि अमेरिका में कोई भी मरीज किसी दवा के लिए उससे ज्यादा कीमत ना चुकाए, जितना दूसरे देशों में चुकानी पड़ती है।

लेकिन दवा उद्योग के लॉबिस्ट्स को उम्मीद है कि सीनेट में वह कुछ दक्षिणपंथी डेमोक्रेटिक सदस्यों को तोड़ने में कामयाब हो जाएंगे। सीनेट में दोनों पार्टियों के 50-50 सदस्य हैं। ड्रग लॉबिस्ट्स को यहां उम्मीद डेमोक्रेटिक सीनेटरों क्रिस्टीन साइनेमा और जो मंचिन से है। इन दोनों ने पार्टी लाइन से हट कर न्यूनतम वेतन बढ़ा कर प्रति घंटे 15 डॉलर करने के बिल के विरोध में मतदान किया था। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रोग्रेसिव धड़ा लंबी रणनीति के साथ काम कर रहा है। अभी उसका मकसद प्रोग्रेसिव मुद्दों को एजेंडे पर लाना है, जिसमें वह कामयाब रहा है। दवाइयों की कीमत घटाना इन मुद्दों में शामिल है।