नई दिल्ली। कई दवा कंपनियां सरकार की तमाम चेतावनियों के बावजूद नए ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर को मानने को तैयार नहीं हैं। सरकार ने अब ऐसी दवा कंपनियों से सख्ती से निपटने का फैसला किया है। गौरतलब है कि 2013 के ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर से पहले भी दवा कंपनियों ने ग्राहकों से करीब 285 करोड़ रुपये ज्यादा वसूले थे। इसमें से करीब सवा सौ करोड़ रुपये की वसूली ही सरकार कर पाई है। इस मामले में नोटिस मिलने पर कई दवा कंपनियां कोर्ट चली गईं तो कुछ ने ज्यादा वसूले गए पैसे का भुगतान सरकार को कर दिया।
फिलहाल, 2013 के ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर के तहत 74 बल्क ड्रग्स और इनके संयोग से बनने वाली 654 दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में रखा गया है। इन दवाओं को सरकार द्वारा तय दामों से ज्यादा पर नहीं बेचा जा सकता है। कई कंपनियां सरकार के इस ऑर्डर को नहीं मान रही हैं। इस मामले में सख्ती दिखाते हुए नैशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए ) ने हाल के दिनों में ऐसी कंपनियों से करीब सौ करोड़ रुपये की वसूली की है।
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अथॉरिटी आने वाले दिनों में और सख्ती करने जा रही है। उसने राज्य सरकारों के साथ ही अपने स्थानीय कार्यलयों से भी दवाओं के दामों पर नजर रखने को कहा है। इस मामले में हाल के दिनों में गुजरात के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने काफी तेजी से काम किया है। उसने एनपीपीए को करीब ढाई हजार ऐसे मामलों की जानकारी दी, जहां तय रेट से ज्यादा पर दवाएं बेची गईं। इनके कारण गुजरात के साथ ही देश के कई और राज्यों में भी तय कीमत से ज्यादा पर दवाएं बेचे जाने के मामले पकड़ में आए। एनपीपीए ने सभी राज्य सरकारों से इस तरह के मामलों की जानकारी देने को कहा है।