नई दिल्ली। देश की दवा नियामक संस्था ‘ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर प्रतिबंध लगाएं। संस्था ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्यों को यह निर्देश दिया है। कोर्ट ने 2018 में जहीर अहमद द्वारा दाखिल की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद आदेश दिया कि दवाओं की अवैध और बिना लाइसेंस के ऑनलाइन बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए, जब तक सरकार ई-फार्मेसी को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट तैयार न कर दे। पिछले हफ्ते ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने अपने निर्देश में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद दवा नियामकों से कहा है कि वे कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए अनिवार्य कदम उठाएं। मौजूदा समय में देश में ऑनलाइन फार्मेसी बिना लाइसेंस के चल रही हैं, क्योंकि इस सेक्टर के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए हैं। सितंबर में सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपे हलफनामे में कहा कि वह ई-फार्मेसी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया में है। इसके लिए सरकार ने सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत कर ली है। अपनी याचिका में अहमद में कहा कि दवाओं की अवैध बिक्री से दवाओं की बाढ़ आ जाएगी और दवाओं का गलत इस्तेमाल बढ़ेगा। अहमद ने अप्रैल में मानहानी की याचिका दाखिल की थी कि ई-फार्मेसी हाई कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रही हैं और केंद्र सरकार इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। इस याचिका के बाद कोर्ट ने केंद्र और कई ई-फार्मेसी को नोटिस जारी किए थे। इसके जवाब में ई-फार्मेसी ने जुलाई में कोर्ट को कहा कि उन्हें लाइसेंस की जरूरत नहीं है क्योंकि वे न तो दवाएं बेच रहे हैं और न उन्हें प्रिस्क्राइब कर रहे हैं। वे सिर्फ दवाओं की डिलीवरी कर रही हैं, जैसे फूड डिलीवरी ऐप्स करती हैं।