झज्जर (हरियाणा)। शहर में मेडिकल स्टोर पर बगैर फार्मासिस्ट दवा बेचने और दूसरी अनियमितताओं पर रद्द हुए कई केमिस्ट शॉप चालकों पर ड्रग्स विभाग की नजर है। शिकायत है कि अभी भी चोरी छिपे दवाएं वितरित की जा रही है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि अस्पतालों में बनी केमिस्ट शॉप से किसी प्रकार का काम नहीं हो सकता है। डॉक्टर की रिकमंडेशन पर बाहर से दवाई मंगाई जा सकती है। यदि जांच के दौरान निजी अस्पतालों के पास दवाओं के बिल नहीं मिले, तब लाइसेंस ही कैंसिल कर दिया जाएगा।
 पिछले दिनों ड्रग्स विभाग ने शहर में 18 केमिस्ट शॉप के लाइसेंस अलग-अलग समयावधि के लिए रद्द कर दिए थे। इनके यहां फार्मासिस्ट व दूसरी अनियमितताएं पाई गई थी। ड्रग्स विभाग के स्थानीय अधिकारियों की रिपोर्ट पर उच्च अधिकारियों ने सजा के रूप में ऐसे दवा विक्रेताओं के लाइसेंस सस्पेंड किए थे। इन पर मौजूदा समय में भी रोक जारी है। हालांकि पहले तो विभाग की यह कार्रवाई केवल कागजों में ही चल रही थी, लेकिन जैसे ही नए अधिकारी के संज्ञान में यह मामला आया, तब उन्होंने ऐसे सभी दुकानदारों की दुकान बंद करना सुनिश्चित कराया। इसके लिए बाकायदा सुबह के समय फोटोग्राफी व चेकिंग भी सुनिश्चित की गई। लेकिन इस बीच कुछ दुकानदारों ने चोरी छिपे दवा बेचने का काम जारी रखा।
शिकायतें मिलने के बाद अब विभाग और अधिक सख्त हो गया है। ड्रग्स विभाग के अधिकारी संदीप हुड्डा का कहना है कि लाइसेंस सस्पेंड होने का मतलब दवाओं की किसी प्रकार भी बिक्री का न होना है। यदि कोई ऐसा करते हुए मिलता है, तब उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में यदि कोई केमिस्ट शॉप बंद है, तब चिकित्सक की रिकमंडेशन पर दूसरी केमिस्ट शॉप से दवाएं मंगाई जा सकती है, लेकिन इन दवाओं के बिल भी होने चाहिए। उन्होंने कहा कि विभाग कार्रवाई को लेकर गंभीर है।