नई दिल्ली। भारत की शीर्ष 3 दवा कंपनियों में से एक सिप्ला ने महामारी के दौरान बड़ी संख्या में कोविड संबंधित दवाएं और डायग्नोस्टिक किट बाजार में उतारे थे। इस दौरान कंपनी को लगभग 20,000 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति भी हुई। अब सिप्ला कोरोनोवायरस टीकों के लिए विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करने की योजना बना रही है।

सिप्ला, जिसने मई में कोविड दवाओं (टोसीलिज़ुमैब, रेमेडिसविर और एज़िथ्रोमाइसिन) के जरिए लगभग 74% मुनाफा कमाया। इसी को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने वैक्सीन इकोसिस्टम पर काम करने का मन बनाया है, इसके लिए सरकार से उसे मंजूरी भी मिल गई है। इस बारे में टीओआई को दिए एक इंटरव्यू में कंपनी के एमडी और ग्लोबल सीईओ उमंग वोहरा ने कहा, “हम साझेदारी के लिए तैयार हैं और वैक्सीन को बेचने के लिए संसाधन एवं क्षमता है। यह हमारे नेटवर्क अस्पतालों के माध्यम से किया जाएगा। हमारे पास पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी की कोविड जैब विकसित करने की तत्काल कोई योजना नहीं है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सिप्ला ने देश की वैक्सीन आपूर्ति को मजबूत करने के लिए अमेरिकी फर्म मॉडर्न की वैक्सीन लॉन्च करने के लिए फास्ट-ट्रैक नियामक मंजूरी मांगी है।

कंपनी ने पिछले साल अक्टूबर में कोविड किट के साथ डायग्नोस्टिक्स क्षेत्र में प्रवेश किया था। अब यह अपने कोविड पोर्टफोलियो को विस्तार देने की योजना बना रही है। हालांकि कंपनी की ओर से विदेशी फर्म के विवरण या पार्टनरशिप को लेकर अभी कोई खुलासा नहीं किया गया। सिप्ला ने एमएसडी की एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर को वितरित करने के लिए और सीएसआईआर-आईआईसीटी, एक राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान केंद्र के साथ, फेविपिरवीर को विकसित करने और लॉन्च करने के लिए भागीदारी की थी।