बिलासपुर (छग)। केंद्र सरकार ने ज्यादातर दवाओं के दाम तय कर रखे हैं। इसके बावजूद शहर के बाजारों में कई मेडिकल स्टोर संचालक अपनी मनमर्जी चला रहे है ड्रग इंस्पेक्टरों की जांच में सामने आया है कि स्टोर संचालक कई दवाओं में 50 रुपए से ज्यादा तक वसूली कर रहे हैं। इनमें अस्थमा, यूरिन इंफेक्शन, विटामिन और सर्दी-बुखार तक की मेडिसिन शामिल हैं। इसके चलते जरूरमंदों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर राजेश क्षत्रिय को इस बारे में शिकायत मिली थी। उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर की टीम तैयार की। डीआई पियूष जासवाल के नेतृत्व में तेलीपारा सहित कई जगहों के मेडिकल स्टोर का जायजा लिया गया। इनमें ही यूरीन इंफेक्शन की नाइट्राप्योर, अस्थमा में इस्तेमाल होने वाला इन्हेलर एस्थालीन, निफ्टास और सर्दी-बुखार में इस्तेमाल पैरासीटामॉल के दामों में एनपीए के रेट से अधिक वसूली का मामला पकड़ा गया। ड्रग विभाग ने संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी कर ऐसा करने के बारे में पूछा है। असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर क्षत्रिय ने बताया कि ऐसी दवा और उनके विक्रेताओं पर नजर रखी जा रही है, जो इन्हें ज्यादा दाम पर बेच रहे हैं। इसके पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। कई कंपनियों के खिलाफ जुर्माना भी किया गया है।
गौरतलब है कि सरकार ने दवाओं को लेकर वर्ष 2013 से अधिसूचना जारी करने की पहल की है। इसके लिए हर साल जरूरी दवाओं को सस्ती करने का काम होता है। इसके नियंत्रण के लिए मिनिस्ट्री आफ केमिकल फर्टिलाइजर के अधिकारियों को लगाया गया है। वे दरों को तय करने के अलावा इससे जुड़े काम करते हैं। इन्होंने दवा सप्लाई करने वाली संस्था को इसे सुधारने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद जरूरी दवा के रैपर से पुरानी एमआरपी नहीं हटाई जा रही है। इसके कारण जनता परेशान होती है। मेडिकल स्टोर संचालक सबकुछ जानने के बाद मरीज और परिजनों से दवाओं के अधिक दाम वसूलते हैं।
उदाहरण के तौर पर यूरिन इंफेक्शन वाली दवा नाइट्राप्योर में जरूरतमंदों से प्रत्येक स्ट्रीप के पीछे 10 रुपए ज्यादा लिया जा रहा है। इसी तरह, एस्थालीन इन्हेलर में 56 रुपए 25 पैसे अधिक वसूले जा रहे हैं। निफ्टास में 43 रुपए और पैरासिटामॉल में दो रुपए ज्यादा वसूलने का मामला सामने आया है। प्रकरण को दवाओं के दाम तय करने वाली केंद्र सरकार की एजेंसी एनपीपीए को भेज दिया गया है। इसके अलावा सभी कंपनियों से इसके विषय में पूछताछ की जा रही है। ब्रेन स्ट्रोक और नाक में इन्फेक्शन से राहत को लेकर दवा तैयार करने वाली दो कंपनियां इसकी सप्लाई में लापरवाही बरत रही थी। एक के रैपर में डबल एमआरपी तो दूसरे में मैनुफैक्चरिंग डेट गलत लिखी गई है, जिसके कारण इसके इस्तेमाल और खरीदी में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ड्रग विभाग ने बिलासपुर के आधा दर्जन मेडिकल स्टोर में छापा मारकर ये गड़बड़ी पकड़ी। दोनों कंपनियों को नोटिस देकर दवाओं के लॉट वापस भेजने की बात कही गई। ड्रग विभाग ने मामला पकड़ा और इसकी जानकारी अधिकारियों को दी गई। ड्रग कंट्रोलर का कहना है कि भारत सरकार दवाओं में बरती जा रही लापरवाही को लेकर जितनी गंभीर है, दवा विक्रेता उतनी ही लापरवाही बरत रहे हैं। यही वजह है कि मेडिकल स्टोर में मनमाफिक मेडिसिन बेची जा रही थी। कुछ दिनों पहले ड्रग विभाग को इसकी शिकायत मिली थी, जिसके बाद उन्होंने संबंधित मेडिकल स्टोर में जांच शुरू की। इसमें ही कई ऐसे मामले खुले, जिनमें यह प्रकरण पकड़ा गया। इसके कारण भी मेडिकल स्टोर संचालकों को नोटिस दिया गया है।