नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने विषरोधी दवा के उत्पाद में जानवरों के इस्तेमाल पर सख्ती दिखाई है। जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था पेटा की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को तलब किया है।
पेटा की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील राजशेखर राव ने दलील दी कि विषरोधी दवाओं और अन्य एंटीबॉडी के उत्पाद में जानवरों का इस्तेमाल किया जाता है, जो उनके प्रति क्रूरता है। आधुनिक समय में दवाओं के निर्माण के लिए ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिसमें जानवरों का प्रयोग न करना पड़े। आमतौर पर विषरोधी दवाओं के उत्पादन में घोड़े और खच्चरों का सैकड़ों वर्षों से प्रयोग होता आ रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि दवा के उत्पाद में जानवरों का प्रयोग किए जाने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद बुरा असर पड़ता है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और पशुओं पर प्रयोगों का नियंत्रण करने वाले बोर्ड ष्टक्कष्टस्श्व से इस पर जवाब मांगा है। फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए टाल दी है।