नई दिल्ली। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ऑक्सिटोसिन की बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग पर 1 अक्टूबर तक के लिए स्टे लगा दिया है। गौरतलब है कि ऑक्सिटोसिन दवा की खरीद-बिक्री और मैन्यूफैक्चरिंग पर केेंद्र सरकार ने पहले ही बैन लगा रखा है। ऑक्सिटोसिन दवा की निर्माता कई कंपनियों और इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क ने दिल्ली हाईकोर्ट से केंद्र सरकार की तरफ से लगाए गए बैन को हटाने की गुहार की थी।
गौरतलब है कि सार्क देशों में 112 कंपनियां ऑक्सिटोसिन दवा का निर्माण करती हैं। केंद्र सरकार ने इसी साल ऑक्सिटोसिन की बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग पर बैन लगा दिया था, जिसके बाद ऑक्सिटोसिन दवाई बनाने वाली कंपनियां कोर्ट पहुंच गई थीं। ऑक्सिटोसिन के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के पीछे मुख्य वजह इस दवा का दुरुपयोग था। सरकार को इससे जुड़ी तमाम शिकायतें मिलीं, जिसमें कहा गया कि देह व्यापार में धकेली गई कम उम्र की लड़कियों को उम्र से पहले वयस्क करने के लिए ऑक्सिटोसिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं। इसके अलावा डेयरी चलाने वाले लोग गाय-भैंस से ज्यादा दूध लेने के लिए भी इस इंजेक्शन का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।
हालांकि, ऑक्सिटोसिन का इस्तेमाल डॉक्टर उस वक्त करते हैं जब गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी कराने के लिए उनके दर्द को कम करना जरूरी होता है। लेकिन अक्सर देखा गया कि दवा बनाने वाली कंपनियों ने इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए नियमों और शर्तों का पालन नहीं किया। इसे बेचने वाली दुकानों पर भी बिना डॉक्टर की सलाह के ये दवा बिकती रहीं, इसलिए सरकार को यह फैसला करना पड़ा। फिलहाल सरकार के निर्देश पर कर्नाटका एंटीबायोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड ही ऑक्सिटोसिन का मैनुफैक्चरिंग कर रही है। फिलहाल कोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी और उसमें केंद्र सरकार को कोर्ट को यह बताना होगा कि ऑक्सीटोसिन दवा बनाने वाली 112 कंपनियों पर एक साथ में बैन लगाना कितना सही फैसला है।