लखनऊ। सूक्ष्म, लघु एवं मद्यम उद्यम विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने कहा है कि आने वाले दिनों में राज्य दवा और मेडिकल उपकरण बनाने का बड़ा हब बनेगा। पीलीभीत और ललितपुर में फार्मा पार्क बनाने की दिशा में सरकार तेजी से प्रयास कर रही है। नोएडा, गाजियाबाद, गोरखपुर, इलाहाबाद जैसे शहरों में मेडिकल उपकरण निर्माण की योजनाएं प्रस्तावित हैं। नवनीत सहगल ने यह बातें पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के यूपी चैप्टर की वेबिनार में कही। इसमें जूबिलेंट लाइफ साइंसेज, सिप्ला, जायडस हेल्थकेयर तथा एल्कैम जैसी कंपनियों के साथ ही लंदन के निवेशकों ने भी प्रदेश के फार्मा सेक्टर में निवेश की रूचि दिखाई। उद्यमियों ने कहा कि सरकार बिजली, पानी और जमीन जैसी मूलभूत जरूरतों पर रियायती दरों पर उपलब्ध कराए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन जैसे देशों के मुकाबले में भारतीय उद्योग को खड़ा किया जा सकता है। प्रमुख सचिव खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन अनीता सिंह ने बताया कि प्रदेश में 16,217 करोड़ रुपये की दवाओं का सालाना कारोबार होता है। 2018 की फार्मा पॉलिसी मुख्यत: एपीआई और बल्क ड्रग तक ही सीमित था। इसका दायरा बढ़ा कर इसमें आयुर्वेदिक दवाओं को भी शामिल किया गया है। हमे उद्यमियों के साथ संवाद बढ़ाकर हम फार्मा उद्योग से जुड़ी समस्याओं को भी हल करने का पूरा प्रयास करेंगे। पीएचडी चेंबर के नेशनल वाइस प्रेसिडेंट व मुल्तानी फार्मास्यूटिकल के चेयरमैन प्रदीप मुल्तानी ने कहा की दवा उद्योग से जुड़े उद्यमियों को 40 से ज़्यादा विभागों का सामना करना पड़ता है। सिंगल विंडो सिस्टम की स्थापना के साथ ही यह गतिरोध हटना चाहिए। चेंबर यूपी चैप्टर के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने कहा कि आजादी के 73 साल बाद भी भारत दवा बनाने के लिए 80 फीसदी से अधिक बेसिक केमिकल चीन से आयात करता है। इस तथ्य के बावजूद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा निर्माता है। प्रदेश में दवा के लिए ज़रूरी स्टार्टिंग मैटेरियल के निर्माण को बढ़ावा देकर प्रदेश सरकार के राजस्व में वृद्धि की जा सकती है। इससे कारोबार और रोजग़ार के अवसर भी बढ़ेंगे