नई दिल्ली। दवा कंपनी रैनबैक्सी और देश की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट अस्पताल चेन फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह समेत चार लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। रेलीगेयर फिनवेस्ट की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। शिविंदर सिंह पर 740 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है। इसी मामले में पुलिस ने उनके भाई मालविंदर मोहन सिंह को भी गिरफ्तार किया है। मलविंदर को लुधियाना से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया है। मलविंदर को 2300 करोड़ रुपए की हेराफेरी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया था। दिल्ली पुलिस ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड के प्रमोटर रहे मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश रचने और विश्वासघात करने के आरोप में मामला दर्ज किया था। रेलिगेयर के एक सीनियर मैनेजर की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज की थी। धोखाधड़ी के मामले में आरईएल के फॉर्मर सीएमडी सुनील गोधवानी और स्टॉक ब्रोकर एनके घोषाल के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। रेलिगेयर के सीनियर मैनेजर ने शिकायत की है कि कंपनी और उसकी सब्सिडियरी रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड से धोखाधड़ी की गई और सैकड़ों करोड़ रुपए की हेराफेरी कई फाइनैंशिल ट्रांजेक्शंस के जरिए की गई। इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सिंह ब्रदर्स ने सह-आरोपियों से सांठगांठ कर 2016 में वित्तीय घोटाला किया। इसमें आरोप लगाया गया है कि दोनों भाइयों ने सोच-विचार कर आपराधिक साजिश रची, जिसके जरिए बड़ा वित्तीय घोटाला किया गया। रेलिगेयर ने इन प्रॉपर्टीज का पता लगाकर लौटाए जाने मांग की है। शिकायत में कहा गया है कि सिंह ब्रदर्स फरवरी 2018 तक आरईएल के प्रमोटर थे और बतौर प्रमोटर आरएफएल के मैनेजमेंट पर उनका बहुत ज्यादा निंयत्रण था, क्योंकि सब्सिडियरी कंपनी थी।
गौरतलब है कि बीते अगस्त में प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन रोधी कानून से जुड़े एक मामले में रैनबैक्सी समूह के पूर्व प्रवर्तकों मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह के परिसरों पर छापेमारी की थी। अधिकारियों ने कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज होने के बाद यह छापे मारे गए थे। एजेंसी की इस कार्रवाई को सिंह बंधुओं के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों और उसके बाद उनके कारोबार के पतन से जोडक़र देखा जा रहा है।