मुंबई। भारतीय दवा कंपनियों की जापानी बाजार से वापसी के दौर में भी वहां अपने पैर जमाए रखने वाली फार्मा कंपनी ल्यूपिन का नजरिया अब बदलने लगा है। हालांकि, ल्यूपिन की जापानी सहायक ने पिछले दशक में 15 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि के हिसाब से बढ़त दर्ज की है। इसके बावजूद सख्त कीमत नियंत्रण के चलते अब कंपनी के लिए जापान बाजार का आकर्षण कम हो गया है।
हाल में ल्यूपिन के प्रबंध निदेशक नीलेश गुप्ता ने कहा था कि बिक्री के लिहाज से जापानी बाजार 10 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है, लेकिन कीमत के लिहाज से यह बढ़त एक अंक में है। इसकी वजह कीमत में होने वाली कटौती है, जो अब हर साल होती है। यह पहले दो साल में एक बार होती थी। उनका कहना था कि इस बाजार में काफी मुश्किलें हैं और अब हमारा नजरिया तेजी का नहीं है। यह बाजार कंपनी की बढ़त दर के मुकाबले कम रफ्तार से बढ़ेगा। लाभ भी कंपनी के औसत लाभ से कम रहेगा। उन्हें लग रहा है कि हमारा ध्यान अब वर्टिकल के एकीकरण में सुधार पर होगा और जापानी बाजार के लिए शोध व विकास और विनिर्माण की दक्षता पर भी।
विश्लेषकों का कहना है कि जापानी बाजार में मार्जिन करीब 8-10 फीसदी है। कीमत का दबाव बढऩे से मार्जिन में कमी आएगी। ऐसे में बाजार अपना आकर्षण खो देता है। एडलवाइस के दीपक मलिक के अनुसार जापान में कीमत का दबाव गहरा गया है, खास तौर से पिछले एक साल में। 2018-19 की कंपनी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, ल्यूपिन की जापानी सहायक क्योवा की बिक्री 1,784.28 करोड़ रुपये रही, जबकि कर पश्चात लाभ 68.6 करोड़ रुपये। लाभ हालांकि साल दर साल के हिसाब से 54 फीसदी कम रहा। ल्यूपिन ने साल 2007 में क्योवा का अधिग्रहण किया था और इसे 10 साल में छठे स्थान पर पहुंचा दिया। 2018-19 में जापान ने ल्यूपिन के एकीकृत कारोबार में करीब 11 फीसदी का योगदान किया।