अलीगढ़: जीएसटी नियमों को लेकर आयोजित कार्यशाला में जिला ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह टिल्लू ने जब सवाल उठाया कि  एक्सपायरी डेट की दवा पर रिटर्न का लाभ कैसे मिलेगा? चूंकी दवा पर छह माह से तीन साल तक की एक्सपायरी डेट अंकित होती है। वापसी सप्लाई की 10 से 30 फीसदी का कंपनी से करार होता है। इस पर वाणिज्य अधिकारी से जवाब मिला कि जीएसटी में रिटर्न सप्लाई पर ही मिलेगा। न कि किसी वापसी पर। एसोसिएशन की इस मांग को काउंसिल तक पहुंचाया जाएगा।
       दवा कारोबारी ब्रजेश कुमार वाष्र्णेय ने सवाल किया कि अगर कोई अपंजीकृत दवा फुटकर कारोबारी दवा लेने आता है, तो सिस्टम सप्लायर का आइडी प्रूफ मांगता है। क्या यह नियम अनिवार्य है? उन्हें जवाब मिला कि 20 लाख रुपये के वार्षिक टर्नओवर वाले किसी भी व्यापारी को पंजीकरण कराने की जरुरत नहीं है। फुटकर दवा व्यापारी के लिए पहचान पत्र दिखाने की अनिवार्यता नहीं हैं। इस श्रेणी के किसी भी व्यापारी को पहचान पत्र की फोटोकॉपी देने का नियम जीएसटी में नहीं है। अगर ऐसा सिस्टम ले रहा है, तो ये दवा कंपनी का खुद का नियम हो सकता है।
      दवा कारोबारी भूपेंद्र वाष्र्णेय ने दवा कारोबारियों की ज्वलंत समस्या को उठाया। उन्होंने कहा कि पहले दवा पर वैट की कई दरें थीं, जिन्हें जीएसटी में बढ़ा दिया गया है। जैसे पांच फीसदी की दवा को 12 फीसदी कर के दायरे में रखा गया है। सेल और सप्लाई में इस अंतर को कैसे कारोबारी वहन करेगा। वाणिज्यकर अफसरों ने उन्हें बताया कि एक जुलाई से बिक्री पर जीएसटी के तहत ही कर में रिटर्न मिलेगा। सेल सप्लाई के नियम बरकरार रहेंगे लेकिन जीएसटी 7 फीसदी की भरपाई नहीं करेगा।