मुंबई। भारतीय दवा बाजार (आईपीएम) को बढ़त मिलने में दवाओं की कीमत का बढऩा प्रमुख कारण माना जा रहा है। वित्त वर्ष 2020 के दौरान दवा क्षेत्र में कीमत का 55 प्रतिशत से ज्यादा योगदान है। दवा बाजार शोध फर्म एआईओसीडी-एडब्ल्यूएसीएस के आंकड़े के अनुसार पिछले पांच साल में कीमत की भागीदारी -15 से 36 प्रतिशत के बीच रही। आईपीएम वृद्घि के अन्य दो मुख्य घटक हैं बिक्री और नई उत्पाद पेशकशें। इनका 20-25 फीसदी का योगदान है। इस क्षेत्र के विश्लेषकों का मानना है कि वृद्घि में कीमत की भागीदारी के संदर्भ में प्रीमियमाइजेशन यानी उत्पादों को महंगा बनाने, ट्रेड जेनेरिक्स की वृद्घि, और उत्पाद को अनुकूल बनाने जैसे कारक मुख्य रूप से शामिल हैं। डीएसपी हेल्थकेयर फंड के फंड प्रबंधक आदित्य खेमका ने कहा कि दवा कंपनियां अपने पोर्टफोलियो को पहचान दिलाने के लिए ब्रांड विस्तार का इस्तेमाल कर रही हैं। इससे कीमत वृद्घि में मदद मिल रही है। इप्का के जेरोडोल ब्रांड के साथ साथ दर्द एवं सूजन के उपचार में इस्तेमाल होने वाले उसके कई वैरिएंट इसका उदाहरण हैं कि यह ट्रेंड किस तरह से सफलतापूर्वक काम कर रहा है। जेरोडोल फ्रेंचाइजी का मूल्यांकन अब 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है, जो वित्त वर्ष 2020 में 20 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा। आईआईएफएल के अभिषेक शर्मा और राहुल जीवनी का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा कंपनियां बड़े ब्रांड बनाने पर अपना ध्यान पुन: केंद्रित कर रही हैं। यह स्पष्ट रूप से ज्यादा लाभदायक है। कंपनियों को बड़े ब्रांडों के साथ बेहतर मूल्य निर्धारण में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, ज्यादा उत्पाद पेशकशों से विपणन लागत बढ़ती है और इससे पोर्टफोलियो पर दबाव बढ़ता है। भारतीय दवा कंपनियों द्वारा नई उत्पाद पेशकशों का बिक्री में 80 प्रतिशत नियंत्रण रहा है, जिसमें कमी आ रही है। नए उत्पादों से योगदान अब पांच साल के निचले स्तर पर रह गया है और फार्मा क्षेत्र की वृद्घि में इनका योगदान 24 प्रतिशत है जो वित्त वर्ष 2017 में 45 प्रतिशत था। आईपीएम की बिक्री में एक-तिहाई योगदान वाले ट्रेड जेनेरिक्स बाजार में तेज वृद्घि अन्य बदलाव है जिससे ब्रांडेड सेगमेंट की बिक्री और कुल वृद्घि प्रभावित हो रही है। एक घरेलू ब्रोकरेज के विश्लेषक ने कहा कि मंदी की वजह से उपभोक्ताओं की खरीदारी क्षमता घटी है, जेनेरिक्स और कम कीमत वाली दवाओं के लिए मांग बढ़ रही है। इससे ब्रांडेड जेनेरिक्स कंपनियों की बिक्री पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। ट्रेड जेनेरिक्स और जन औषधि स्टोरों की ऊंची बिक्री से खासकर टियर-3 और टियर-4 शहरों में ब्रांडेड बाजार की बिक्री/कीमत प्रभावित हो रही है। आईआईएफएल का मानना है कि भारतीय ब्रांडेड जेनेरिक्स बाजार के लिए सभी जोखिमों में, ट्रेड जेनेरिक्स का उभार सबसे ज्यादा बड़ा है जिससे ब्रांडेड कंपनियों की वृद्घि दर प्रभावित हो सकती है।