बलिया (उत्तर प्रदेश) : ड्रग एवं फार्मास्युटिकल (यूपीडीपीएल) की दवाएं मुख्य औषधि भंडार से स्वास्थ्य केंद्रों पर सप्लाई कर सरकारी धन में लूट करने के मामले में जिले का भी नाम शामिल हो गया। सूत्रों की मानें तो दवा खरीद में धांधली का खेल सीएमओ कार्यालय पर मुख्य औषधि भंडार से ही खेला जाता है। यहां चीफ फार्मासिस्ट के जिम्मे ही पूरी व्यवस्था का प्रभार होना चाहिए लेकिन इनके नीचे एक और फार्मासिस्ट की तैनाती कर वसूली का काम किया जाता रहा है। खास बात ये कि जुगाड़ के दम पर जिसकी भी एक बार यहां तैनाती हो गई वो फिर हटाया नहीं जा सका। ऐसे में यहां इस तरह की स्थिति आज भी बनी है। दो दिन पूर्व यहां चार्ज लेने वाले सीएमओ डॉ.बाबू नंदन ङ्क्षसह ने कहा कि अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। शासन से जो भी जांच होगी उसमें हरसंभव सहयोग दिया जाएगा।
इस घोटाले में वर्ष 2004-05 व 2005-06 में यूपीडीपीएल की नकली दवाएं मुख्य औषधि भंडार से स्वास्थ्य केंद्रों पर आपूर्ति कर सरकारी धन की लूट की गई है जबकि यहां उस समय से लेकर अब इस तरह के कई खेल जारी है। स्थिति है कि यहां दवा की ही फर्जी कंपनी बनाकर इसके नाम पर जबर्दस्त ढंग से अनियमितता की गई। इसमें लखनऊ की एक दवा कंपनी के नाम पर मऊ और अन्य गांवों में संस्था बनाकर सुनियोजित तरीके से दवा खरीद में धांधली हुई है। इसमें सबसे अधिक गड़बड़ी सरकार की महत्वपूर्ण योजना एनआरएचएम के आशीर्वाद बाल स्वास्थ्य गारंटी कार्यक्रम में की गई है। यह कार्यक्रम यहां पिछली सरकार में वर्ष 2012 में शुरू हुआ था। इसमें परिषदीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उनमें पाई जाने वाली कमी के अनुसार उन्हें आवश्यक दवाएं देनी थी। इसके तहत सभी बच्चों को आयरन की नीली बड़ी व छोटी गोली अनिवार्य रूप से देनी थी। ऐसे में यहां पिछली सरकार के पांच वर्षों में ही करीब तीन करोड़ रुपये से अधिक की आयरन की गोली कागजों पर ही खरीद ली गई और बजट अधिकारियों व योजना से जुड़े लोगों के जेब में चला गया। इसमें यह खेल शिद्दत से खेला गया जिससे इसमें आज तक कोई कुछ नहीं कर सका। इसके अलावा सीएचसी-पीएचसी पर सप्लाई दी जाने वाली आवश्यक दवाओं में भी विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से लंबा खेल किया गया है।
उस दौरान यानी वर्ष 2013-14 में कार्यक्रम के नोडल अधिकारी रहे एसीएमओ डा.लल्लन प्रसाद ने आयरन की गोली खरीद में हुई लूट की वजह से ही अपना पद छोड़ दिया था। अभी सेवानिवृत्त हो चुके डा.लल्लन प्रसाद उस समय आशीर्वाद बाल स्वास्थ्य गारंटी कार्यक्रम के नोडल थे। कार्यकाल के दौरान लखनऊ में शासन के मीङ्क्षटग में इनसे आयरन की गोली के बारे में जानकारी मांगने पर यह कुछ नहीं बता सके जिसके लिए इनको कड़ी चेतावनी मिली। लिहाजा यह जिले में लौटे तो तत्कालीन सीएमओ डा.पीके ङ्क्षसह से लिखित रूप से इसकी जानकारी मांगी लेकिन वो टालते हुए इनको ही साधने में जुट गए। नतीजा एक बार फिर अधिकारिक रूप से रिमाइंडर देने के बाद भी जब जवाब नहीं मिला तो एसीएमओ ने पद से ही त्यागपत्र दे दिए।