रेवाड़ी। स्वास्थ्य विभाग में हुए दवा और उपकरणों के घोटाले की परतें खुलने लग गई हैं। गौरतलब है कि रेवाड़ी में नियमों को ताक पर रखकर दवा परचेज का टेंडर हिसार की सगुन नामक कंपनी को दिया गया था जो बोली में शामिल पात्रता नहीं रखती थी। हैरानी की बात ये है कि यह खरीद-फरोख्त का यह गड़बड़झाला लगातार 3 साल तक और 6 कंपनियों के साथ मिलकर किया गया। इस दौरान करीब 2 करोड़ की दवा की खरीद हुई।
दरअसल रेवाड़ी में 2013 में स्वास्थ्य विभाग की ओर से दवाई खरीद के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे। इसके लिए ड्रग लाइसेंस (डीएल) की अनिवार्यता रखी थी। रेवाड़ी नागरिक अस्पताल की परचेज कमेटी ने सगुन कंपनी को बिना पात्रता के टेंडर जारी कर दिया। स्वास्थ्य विभाग ने रोगियों को बेहतर उपचार सुविधाएं देने के लिए सभी नागरिक अस्पताल प्रशासन को दो लाख रुपए की दवाई खरीदारी की छूट दी हुई है। रेवाड़ी नागरिक अस्पताल समेत अन्य जिलों के सरकारी अस्पतालों ने इसका फायदा उठाते हुए नियम ताक पर रखकर दवाइयों की खरीद कर डाली।
नागरिक अस्पताल रेवाड़ी में वर्ष 2013-16 तक 6 कंपनियों को दवाई खरीद के लिए टेंडर दिए गए। 3 सालों में इन कंपनियों से इंजेक्शन, टेबलेट एवं सर्जिकल सामान समेत अन्य उपकरण खरीदे गए। सगुन कंपनी से विभिन्न बीमारियों की जांच में उपयोग होने वाले केमिकल (रीजेंट्स), अल्ट्रासाउंड मशीन में उपयोग होने वाले रोल, बैंडेज समेत 6 सामानों की खरीद हुई, लेकिन खरीद में घपले के बाद अन्य 5 कंपनी से खरीदा सामान भी शक के घेरे में आ गया है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने प्रेस कान्फ्रेंस कर स्पेशल ऑडिट के आदेश दिए हैं। स्टेट ड्रग कंट्रोलर की टीम की ओर से हिसार में जीके ट्रेडिंग कंपनी और सगुन ट्रेडिंग कंपनी की जांच की गई। इसमें जीके ट्रेडिंग कंपनी के पते पर एक होजरी की दुकान है, जो 2006 से चल रही है, जबकि सगुन ट्रेडिंग कंपनी के पते पर एक छोटा कमरा मिला है, जो खाली था। वहां मकान मालिक से बात की तो टीम को बताया कि उनका बेटा कुछ काम करता है, लेकिन क्या करता है, यह उसे पता नहीं है।