बिलासपुर (छत्तीसगढ़)। औषधि विभाग ने नशीली दवाओं के अवैध धंधे पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। अब मेडिकल दुकान संचालक को लाइसेंस लेते समय कोडिन सीरप बेचने के लिए अलग से आवेदन देना होगा। इसके अलावा बिकने वाले एक-एक कोडिन सीरप का हिसाब भी लिया जाएगा। गौरतलब है कि युवा वर्ग में नशे के लिए सर्दी-खांसी की दवा कोडिन सीरप का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। कई मेडिकल एजेंसी द्वारा कोडिन सीरप अवैध तरीके से बेचने की जानकारी भी मिली है। इस पर लगाम लगाने के लिए औषधि विभाग ने तैयारी कर ली है। इसके तहत नए मेडिकल स्टोर के लिए लाइसेंस लेते समय और पुराने के रीनिवल के समय पूछा जा रहा है कि वे कोडिन सीरप बेचना चाहते हैं या नहीं। जो लोग बेचने की इच्छा जाहिर करते हैं उनसे अलग से आवदेन मांगा जा रहा है। साथ ही हर महीने बेचे जाने वाली कोडिन सीरप की जानकारी मरीज के नाम समेत विभाग को उपलब्ध कराना है। विभाग को उम्मीद है कि इस तरीके से नशीली दवाओं के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाया जा सकेगा। किसी एजेंसी द्वारा खरीदी जाने वाली दवाओं की पूरी जानकारी उस जिले के ड्रग विभाग के पास रहती है। उन्हें यह भी पता रहता है कि कितनी मात्रा में इस तरह की दवा बिक रही है। ऐसे में नशे के सौदागर इस तरह की दवाओं को बिना बिल अवैध तरीके से दूसरे प्रदेशों से मंगवा रहे हैं। अब इस तरह की दवाओं की तलाश की जा रही है। उनके बैच नंबर की मदद से ये पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि सप्लाई कहां से हुई है। विभाग की टीम जल्द ही सभी मेडिकल स्टोर का जायजा लेगी। इस दौरान स्टोर से बिकने वाली दवाओं की जानकारी ली जाएगी। नशीली दवाओं की खपत के संबंध में कोई गड़बड़ी मिलने पर मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। मुख्य ड्रग इंस्पेक्टर रवि गेंदले ने बताया कि कोडिन सीरप की अवैध बिक्री रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। अब इस दवा को बेचने के लिए मेडिकल स्टोर संचालक को अनुमति लेनी होगी।