रांची। ड्रग विभाग ने हाल ही में बैन की गई 328 दवाओं का स्टॉक बाजार से हटवाने की कवायद शुरू कर दी है। फार्मा कंपनियों को विक्स एक्शन 500, कोरेक्स, सुमो, डी-कोल्ड, टेक्सिम ओ आदि इन प्रतिबंधित दवाइयोंं के स्टॉक को रिकॉल करने के आदेश दिए हैं। हालांकि, दवा बिक्री पर रोक के लिए अभी तत्काल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा रही है। दवा विक्रेताओं को समय दिया गया है। बताया गया है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह से दवाओं की रोक के लिए छापामारी अभियान चलाया जाएगा।
निदेशक औषधि रितू सहाय ने राज्य के सभी ड्रग इंस्पेक्टरों को आदेश जारी कर कहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने फिक्सड डोज कंबिनेशन की दवाओं को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया है। ऐसे में सभी ड्रग इंस्पेक्टर यह सुनिश्चित करेंगे कि इन दवाओं की खरीद-बिक्री या स्टोरेज नहीं किया जाए। बचे हुए स्टॉक को आपूर्तिकर्ता को वापस कर दिया जाए। सीएनएफ, डिस्ट्रिब्यूटर और सुपर स्टॉकिस्ट से इन दवाओं के रिकॉल से संबंधित विवरण भी प्राप्त किया जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से 328 फिक्स्ड डोज कंबिनेशन दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। इन दवाओं पर प्रतिबंध लगने से करीब 6 हजार ब्रांड के प्रभावित होने की संभावना है। इस प्रतिबंध के बाद दर्द निवारक दवा, त्वचा क्रीम पांडर्म, संयोजन मधुमेह की दवा ग्लुकोनॉर्म पीजी, एंटीबायोटिक ल्यूपिडिक्लोक्स और एंटीबैक्टीरियल टैक्सिम एजेड जैसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाया है। इन दवाओं का लोगों की सेहत पर गलत असर पड़ रहा है। इधर, राज्य के दवा आपूर्तिकर्ता और स्टॉकिस्टों ने कहा है कि राजधानी समेत झारखंड में एफडीसी दवाओं का भारी स्टॉक है। ऐसे में इन दवाओं को उन्हें वापस करना होगा। ये दवाएं बंद होती हैं तो सिंगल कंबिनेशन की दवा आने में वक्त लगेगा। रोक के बाद भी रिम्स और सदर अस्पताल के काउंटर से कंबिनेशन की दवाएं मरीजों को दी जा रही हैं। दरअसल, कई बीमारियों में दी जाने वाली प्लेन कंबिनेशन की दवा है ही नहीं। इसके अलावा एजीथ्रोमाइसिन, पेंटाप्राजोल, आबूपैरासिटामाल और सिफैक्सिन आर्निडाजॉल नाम की कंबिनेशन वाली दवाएं सरकारी अस्पताल के काउंटर से मरीजों को दी जा रही हैं। रिम्स के दवा दुकान के प्रभारी का कहना है कि स्टाक में पर्याप्त मात्रा में पहले की दवाएं पड़ी हैं। अचानक सारी कंबिनेशन की दवाएं हटा देने से मरीजों के लिए दिक्कत खड़ी हो सकती है। इसलिए, नया स्टॉक आने तक पूर्व की दवाएं मरीजों को दी जा रही हैं।