बिना प्रिस्क्रिप्शन बिक्री, स्वास्थ्य विभाग सोया, तीन हजार से ज्यादा नाबालिग नशे की गिरफ्त में
जयपुर। शहर के अधिकतर दवा दुकानदार बिना प्रिस्क्रिप्शन के सूंघने वाला नशा (बोनफिक्स, कोडीन आदि) धड़ल्ले से बेच रहे हैं । हैरानी वाली बात यह है कि नशा खरीदने वालों में सबसे ज्यादा संख्या नाबालिगों की है। मेडिकल स्टोर संचालक न उनकी उम्र का ख्याल रख रहे हैं और न ही डॉक्टर की लिखी पर्ची देखने की जरूरत समझ रहे। बस अपनी कमाई के लालच में मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।

‘टाबर बसेरा’ नामक संस्था का दावा है कि शहर में तीन हजार से ज्यादा बच्चे सूंघने वाले नशे की गिरफ्त में हैं। यही नहीं, पांच साल तक की छोटी बच्चियां भी इन बच्चों के साथ सूंघने वाला नशा करने लगी हैं। बिना प्रिस्क्रिप्शन नशा बेचने की जांच करने के लिए जब शहर के जगतपुरा स्थित आरोग्य मेडिकल स्टोर से ट्रामाडोल खरीदा तो दुकानदार ने प्रिस्क्रिप्शन के बिना ही इसे दे दिया। इसके अलावा, भारद्वाज मेडिकल स्टोर से कोडीन और जयपुरिया हॉस्पिटल के पास स्थित मेडिकल स्टोर से डुवाडिलियान इंजेक्शन खरीदा। यह इंजेक्शन बिना किसी डॉक्टर की अनुमति के नहीं दिया जा सकता। जब इन दुकानदारों से कहा गया कि हमें नशे के लिए ‘सामान’ चाहिए तो उन्होंने ट्रामाडोल, डुवाडिलियान और कोडीन दे दिया। संस्था टाबर बसेरा का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपी थी लेकिन इस पर कोई एक्शन ही नहीं लिया गया। यह स्थिति किसी एक क्षेत्र विशेष की नहीं है। इसके बावजूद कोई एक्शन प्लान नहीं है। इस पर रोकथाम की भी कोई योजना पुलिस के पास नहीं है।

दवा दुकानदारों पर करेंगे कार्रवाई: इस संबंध में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ का कहना है कि डॉक्टर्स के मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन बिना नशे की दवा बेचने वाले मेडिकल स्टोर्स पर कार्रवाई की जाएगी। बच्चे नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं तो यह बेहद चिंता का विषय है। इनकी काउंसलिंग कराएंगे।

बच्चों को काउंसलिंग जरूरी: मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश जैन ने बताया कि नशा करने वाले बच्चों को काउंसलिंग की जरूरत है। एक बार आदत पडऩे पर बच्चे बार-बार नशा लेने लगते हैं। ऐसे बच्चों और उनके परिजनों की काउंसलिंग कर इस प्रकार के नशे से होने वाले लॉन्ग टर्म नुकसान के बारे में बताया जाना चाहिए। उनका मोटिवेशन भी बेहद जरूरी है।