इंदौर: टेमीफ्लू की सब्स्टिट्यूट एंटीफ्लू आसानी से नहीं मिलेगी, इसके लिए भी टेमीफ्लू वाले नियम लागू होंगे। सीएमएचओ की तरफ से आदेश जारी करने की तैयारी है। उधर, अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के खतरे से सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। अस्पतालों की हालत इतनी पतली है कि मरीजों को भर्ती करने जगह नहीं है। इस सूरत में स्वाइन फ्लू की दवा टेमीफ्लू की सब्स्टिट्यूट दवा खूब बिक रही है। मरीजों को जरूरत नहीं होने के बावजूद डॉक्टर, खासकर झोलाछाप डॉक्टर टेमीफ्लू की सब्स्टिट्यूट एंटीफ्लू दवा धड़ल्ले से लिख रहे हैं।
वरिष्ठ चिकित्सकों की मानें तो इसके घातक परिणाम सामने आ सकते हैं। क्योंकि टेमीफ्लू में ओसेल्टा मिविर फॉस्फेट पाया जाता है और एंटीफ्लू में भी यही कंटेंट हैं यानी दोनों दवाओं का एक ही काम है लेकिन टेमीफ्लू पर सरकार की बंदिश है लेकिन एंटीफ्लू पर नहीं है। बाजार में आसानी से दवा मिलने के कारण इसका सेवन मरीजों में बढ़ रहा है। जानकारी के मुताबिक, अब तक एच1एन1 वायरस के 119 पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं जबकि 453 संदिग्ध मरीजों के सैंपल भेजे गए थे। इनमें से 36 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। इसके साथ ही डेंगू के 39 और चिकनगुनिया के 10 मरीज सामने आ चुके हैं।
सीएमएचओ डॉ एचएन नायक ने कहा कि टेमीफ्लू की सब्स्टिट्यूट दवा एन्टीफ्लू बाजार में दिए जाने की जानकारी मिली है। जांच करवा रहे हैं। इसे बेचने के लिए भी टेमीफ्लू वाले नियम अपनाने होंगे।
स्वास्थ्य विभाग के निशाने पर सरकारी अस्पतालों के साथ कुछ प्राइवेट अस्पताल भी हैं। विभाग ने टेमीफ्लू की बिक्री के लिए तीन स्थान तय हुए हैं, जिनमें लसूडिय़ा का सिपला कम्पाउंड, सीएचएल हॉस्पिटल और दवा बाजार का सुपर ड्रग हाउस है। यहां मरीजों को डॉक्टर की पर्ची देखकर उसकी फोटो कॉपी तथा दवाई खरीदने वाले की आईडी की फोटो कॉपी लेकर ही यह दवाई दी जाती है जबकि एन्टीफ्लू आसानी से मिल रही है। डॉक्टरों की मानें तो हर साल वायरस अपना स्वरूप बदल लेते हैं। ऐसे में स्वाइन फ्लू नहीं होने पर भी अगर उसकी दवाई का सेवन किया गया तो ऐसे लोगों को स्वाइन फ्लू होने का खतरा बढ़ जाता है। कारण है कि वायरस दवा के प्रति अपनी क्षमता बढ़ा लेता है, जिसके बाद फिर दवा लेने पर भी इसका कोई असर नहीं होता है। स्वाइन फ्लू के लक्षण होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह से टेमीफ्लू का सेवन करना चाहिए।