नई दिल्ली। दवा निर्माता ल्यूपिन, ग्लेनमार्क और नैटको ने फार्मा विनिर्माण मुद्दों के कारण अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों को वापस मंगाया है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) के अनुसार , ल्यूपिन ने एंटीबायोटिक दवा रिफैम्पिन कैप्सूल (300 मिलीग्राम) की 26,352 बोतलें वापस मंगाई है।

प्रभावित लॉट का उत्पादन दवा फर्म ने अपनी औरंगाबाद स्थित सुविधा में किया है। अमेरिकी बाजार में इसकी बाल्टीमोर स्थित इकाई ल्यूपिन फार्मास्यूटिकल्स, इंक. द्वारा विपणन किया गया है ।

सबपोटेंट होने के कारण लॉट को वापस मंगा रही कंपनियां 

बताया गया है कि फार्मा कंपनियां सबपोटेंट होने के कारण लॉट को वापस मंगा रही है। यूएसएफडीए ने कहा कि ग्लेनमार्क असफल विघटन विनिर्देशों के कारण डिल्टियाज़ेम हाइड्रोक्लोराइड विस्तारित-रिलीज़ कैप्सूल की 6,528 बोतलें वापस ले रहा है। उच्च रक्तचाप के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा, न्यू जर्सी स्थित ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स इंक द्वारा अमेरिकी बाजार में विपणन की गई थी ।

मुंबई मुख्यालय वाली दवा कंपनी की एक फर्म ने 26 मार्च को क्लास-2 रिकॉल की शुरुआत की। हैदराबाद स्थित नैटको फार्मा अमेरिकी बाजार में हार्टबर्न के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लैंसोप्राज़ोल विलंबित-रिलीज़ कैप्सूल की 30 बोतलें वापस ले रही है। यूएसएफडीए के अनुसार सीजीएमपी विचलन के कारण,उत्पाद का निर्माण कंपनी द्वारा अपने कोथुर (तेलंगाना) स्थित फॉर्मूलेशन प्लांट में किया जाता है।

गौरतलब है कि क्लास-2 रिकॉल उस स्थिति में किया जाता है, जिसमें किसी उल्लंघनकारी उत्पाद का उपयोग या उसके संपर्क में आने से अस्थायी या चिकित्सकीय रूप से प्रतिवर्ती प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। जहां गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों की संभावना बहुत कम होती है।

जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर भारत

बता दें कि भारत 60 चिकित्सीय श्रेणियों में 60,000 विभिन्न जेनेरिक ब्रांडों का निर्माण करके वैश्विक आपूर्ति में लगभग 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। देश में निर्मित उत्पाद दुनिया भर के 200 से अधिक देशों में भेजे जाते हैं। इनमें जापान, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम यूरोप और अमेरिका मुख्य गंतव्य हैं।

यूएसए के बाहर संयंत्रों वाली यूएसएफडीए अनुपालन वाली कंपनियों की संख्या भारत में सबसे अधिक है। यूएसएफडीए द्वारा प्रकाशित फार्मास्युटिकल गुणवत्ता की स्थिति पर रिपोर्ट के अनुसार , भारत में 600 से अधिक यूएसएफडीए पंजीकृत विनिर्माण स्थल हैं।