मुंबई। पीरामल कंज्यूमर का ऐबट के साथ गैर प्रतिस्पर्धी करार सितंबर में खत्म होने जा रहा है। इसके मद्देनजर कंपनी ने अपने मौजूदा पोर्टफोलियो के विस्तार के साथ-साथ दूसरे ब्रांडों के अधिग्रहण की व्यापक योजना बनाई है। उसकी नजर खासकर ऐसे ब्रांडों पर है जिनके ओटीसी (डॉक्टर की पर्ची के बिना बिकने वाली दवा) श्रेणी में उतरने की संभावना है। इसके साथ ही कंपनी फिर से दवा फॉम्र्यूलेशन बाजार में उतरने की योजना बना रही है और ओटीसी कारोबार उसी का हिस्सा है। पीरामल एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष अजय पीरामल ने संकेत दिया था कि कंपनी देश के दवा फॉम्र्यूलेशन बाजार में फिर से उतरने की संभावनाएं तलाश रही है। कंपनी ने 2010 में अपना दवा फॉम्र्यूलेशन कारोबार 3.7 अरब डॉलर में ऐबट को बेच दिया था। बाजार सूत्रों का कहना है कि पीरामल कंज्यूमर ने अपनी योजना पर काम शुरू कर दिया है और इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कंपनी इस बाजार में उतर सकती है।
अलबत्ता कंपनी से इसकी पुष्टिï नहीं हो सकी। पीरामल कंज्यूमर के अध्यक्ष और मुख्य परिचालन अधिकारी केदार राजदण्ये ने 2020 तक 10 अरब रुपये राजस्व हासिल करने के लिए व्यापक योजना बनाई है जो कंपनी के 3.46 अरब रुपये के मौजूदा राजस्व से करीब 3 गुना है। इनमें से अधिकांश राजस्व विलय और अधिग्रहण से आएगा। इसका कारण बताते हुए राजदण्ये ने कहा कि ओटीसी श्रेणी में उतारे गए नए उत्पाद की सफलता दर करीब 10 से 20 फीसदी है और विज्ञापन की लागत भी बहुत ज्यादा है। कंपनी ने अब तक 5 अधिग्रहण किए हैं और राजदण्ये का दावा है कि इनमें से सभी सफल रहे हैं। 2010 में कंपनी के पास तीन ब्रांड थे- सैरिडॉन, लैक्टो कैलामाइन और पॉलिक्रॉल। अभी कंपनी के पास टॉप 100 ओटीसी ब्रांड में 6 ब्रांड हैं। कंपनी ने 2010 में आई-पिल का अधिग्रहण किया था जिसने 25 फीसदी की सालाना चक्रवृद्घि दर हासिल की है। इसी तरह फाइजर पोर्टफोलियो दो साल में दोगुना हो गया है। कंपनी की नजर अब ओटीसी श्रेणी पर है।
राजदण्ये का कहना है कि कंपनी उन ब्रांडों का अधिग्रहण करना चाहती है जिनके ओटीसी में जाने की संभावना है। देश में छोटी-मोटी बीमारियों के लिए डॉक्टर के पास जाने के बजाय खुद ही दवा लेने का चलन बढ़ रहा है। अनुमानों के मुताबिक देश में करीब 76 फीसदी लोग डॉक्टर के पास जाने के बजाय खुद ही दवा खरीदते हैं। पीरामल एलर्जी, एंटेसिड, विटामिन और खुराक सप्लीमेंट जैसे क्षेत्रों में उतरने की संभावना तलाश रही है। एबट के साथ गैर प्रतिस्पर्धी करार खत्म होने के बाद कंपनी डॉक्टरों के साथ भी संपर्क बढ़ा सकती है। कंपनी के पोर्टफोलियो में शामिल उत्पादों में से 95 फीसदी ऐसे हैं जिनमें दवा लाइसेंस की जरूरत है। अभी कंपनी की पहुंच 4 लाख से अधिक दुकानों तक है जिनमें से करीब 2 लाख 20 हजार दवा दुकानें हैं। राजदण्ये का कहना है कि अब हमारी नजर ऐसे उत्पादों पर है जिनके लिए दवा लाइसेंस की जरूरत नहीं है।