रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर में थोक और चिल्हर दवा बाजार में अलग-अलग बीमारियों की 20 हजार से ज्यादा ब्रांड की दवाएं बिक रहीं हैं लेकिन जांच एक महीने में केवल 6 की हो पा रही है।
हाल ये है कि बाकी दवाओं की न तो गुणवत्ता जांची जा रही है, न उनका कंटेंट देखा जा रहा। तीन साल में रायपुर जिले में केवल 65 दवाओं के सैंपल लिए गए, उसमें से 11 फेल हो चुके हैं। इसके बावजूद हजारों ब्रांड की दवाओं को बिना जांच बेचने की छूट दे दी गई है। असर किसी पर हो रहा है तो मरीज है जो बिना जांच की दवाओं का सेवन कर रहे है।
एक न्यूज वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, रायपुर जिले में केवल तीन ड्रग इंस्पेक्टर हैं। हर एक को महीने में केवल दो सैंपल लेने का टारगेट दिया गया है। तीनों इंस्पेक्टर पूरे महीने केवल दो सैंपल ही जांच के लिए भेजते हैं। ऐसे में तीनों इंस्पेक्टर 6 दवा या इंजेक्शन का सैंपल लेते हैं। बाकी दवाओं का परीक्षण तो दूर जांच भी नहीं की जाती। वर्तमान में कालीबाड़ी स्थित सरकारी प्रयोगशाला में दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए केवल तीन वैज्ञानिक हैं। उन पर ही पूरे राज्यभर से आने वाली दवाओं के सैंपल की जांच का जिम्मा है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर कब इन दवाओं की पूरी जांच होगी।